दुर हुआ तो क्या हुआ हमारे सपने का आशियाना है!!

Dream house

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Manisha Bhartia
Manisha Bhartia 12 Apr, 2022 | 1 min read
Kumar sandeep

राधिका राधिका कहां हो तुम अरे सुन रही हो कि नहीं??

हां हां आ रही हूं....बहरी नहीं हो गई इतना क्यों चिल्ला रहे हो?? कोई खुशखबरी है क्या??


अरे हां पगली खुशखबरी ही नहीं बहुत बड़ी खुशखबरी है... आज पूरे 10 सालों बाद ख्वाबों के आशियाने का सपना सच होने जा रहा है. एक बड़ा सा कॉम्प्लेक्स कॉम्प्लेक्स में गार्डन, स्विमिंग पूल, प्लेइंग एरिया, जिम कम्युनिटी हॉल ,क्लब, कॉन्फ्रेंस रूम, बच्चों के खेलने के लिए पार्क सब कुछ..... और सुनो तुम हमेशा से चाहती थी ना कि हम जब भी घर ले वह अपना नया घर ही लें.... तो जानेमन यह बिल्कुल नया ही होगा और हमारे ख्वाबों की तरह खूबसूरत भी. मैंने तो सोच भी लिया है कि हमारा प्लेट 9th फ्लोर पर होगा और 3BHK का... और तुम्हें पता है इसमें एक बेनिफिट और भी है.... वह क्या वह क्या राधिका ने पूछा?

बता रहा हूं, वह यह कि तुम इसमें अपनी मर्जी से फेरबदल भी कर सकती हो....क्योंकि अभी उसमें कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है.तुम हमेशा से चाहती थी ना कि मेरी रसोई बड़ी हो क्योंकि हम औरतों का आधा समय तो किचन में ही गुजरता है और बाथरूम भी तुम्हें हमेशा से बड़ा चाहिए था ताकि तुम उसमें अपनी मर्जी अनुसार बाथटब लगा सको..... तो तुम अपने मुताबिक यह सब कुछ कर सकती हो.

सच राजेश आज मैं बहुत खुश हूं. मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमें अपने ख्वाबों का आशियाना मिलेगा.... क्योंकि आप जितना कमाते हैं उसका आधा तो घर चलाने में ही चला जाता है इसी बात पर बाबूजी से भी आपकी बहस हो गई थी. जब उन्होंने आपको अपनी पूरी सैलरी देने के लिए कहा था.... तो आपने भी कह दिया की पूरी जिम्मेदारी मेरी नहीं है घर के खर्चे की, मेरे दोनों बड़े भाई भी तो हैं...उनका भी तो परिवार है उन्हें भी खर्च देना चाहिए.... उनकी तो इनकम भी मुझसे ज्यादा है और दोनों ने पहले से ही एक एक फ्लैट भी ले रखा है. लेकिन मेरा क्या मुझे तो तिनका तिनका जोड़ना पड़ेगा तभी तो अपना घोंसला तैयार कर पाऊंगा. तो बाबू जी ने बिना हमारी मजबूरी को समझें हमें घर से बाहर निकाल दिया. दोनों जेठ जी को भी.....तब जेठ जी तो अपने फ्लैट में चले गये....लेकिन तब से हम 10 साल से भाड़े के घर में ही रह रहे हैं. जबकि हमारा छोटा ही सही पुश्तैनी मकान था.

अरे छोड़ो राधिका तुम भी क्या यह सब लेकर बैठ गई. ....यह बताओ तुम खुश हो या नहीं??

कैसी बातें कर रहे हैं आप मैं खुश नहीं बहुत खुश हूं. हमारे दोनों बच्चों को पंकज और गुड्डी को अब हर चीज की फैसिलिटी मिलेगी.एक अच्छा वातावरण मिलेगा...यहां पर ठीक से खेलने की जगह भी नहीं है ना ही कोई पार्क.... सही समय से भगवान ने हमारी सुन ली...


राधिका लेकिन एक दिक्कत है वह जो हमारे ख्वाबों का आशियां है वह सेंटर एरिया से थोड़ा दूर है....लेकिन हमें कोई दिक्कत नहीं होगी.... मैं तो वैसे भी स्कूटी से ऑफिस जाता ही हूं .,...और रही बात बच्चों की तो बच्चों की वहां से स्कूल बस कर देंगे..... और तुम तो कभी कभी निकलती हो अपनी मम्मी के घर या अपनी बहनों के तो तुम मेरे साथ चलना मैं तुम्हें छोड़ दूंगा..  .... कभी जब हम चारों जाऐगे.... तो कार हायर कर लेंगे....




बस एक ही माइनस प्वाइंट है राधिका कि घर दूर है.लेकिन जब तुम देखोगी तो एक बार तो तुम्हारी आंखें चौंधिया जाएंगी.

बस राजेश अब और मत बताइये. अब तो आप मुझे दिखा दीजिये. मुझसे अब इंतजार नही हो रहा. मैं तो कहती हूँ..... कि आप कल ही मुझे दिखाने ले चलिए.

हां जान हम कल सुबह थोड़ी जल्दी निकलेगें...तो मैं तुम्हें दिखाकर वंहा से बस में बिठा दूंगा.... तुम घर आ जाना और मैं आफिस चला जाऊंगा.

हां ये ठीक रहेगा....

दूसरे दिन वाव राजेश ये तो बहुत सुन्दर है. दूर हुआ तो क्या हुआ पर अपना तो होगा. मैं इसे अपने मन मुताबिक सजा तो पाऊँगी. कोई भी सामान बसाने से पहले ये तो नही सोचना पडेगा कि भाड़े का घर है. बोरिया बिस्तर लेकर भागना पडेगा......वैसे भी कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है.


तुमने बिल्कुल ठीक कहा जान. ऐसा ही सेम घर हम मेन एरिया में लेते हैं तो वो हमें 80 लाख का पडे़गा, जो हमारी पहुँच से बहुत दूर है. जबकि ये हमें 35 लाख में पड़ता आऐगा. ये घर भी हम ले पा रहे हैं... इसलिए क्योंकि हमने पाई पाई जोड़ कर रकम खडी़ की. बच्चों को साधारण स्कूल में पढा़या.... कहीं बाहर घूमने भी जाते तो हमेशा स्लीपर में ही जर्नी की. चाहें अप्रैल की तेज गर्मी हो या दिसम्बर की ठण्डी....

80 लाख के घर का सोचते तो फिर तो हमारा सपना सपना ही रह जाता.....

राधिका ने राजेश के मुंह पर अपनी उंगलियां रख चुप कराया और कहा कि ऐसा कभी मत कहिए. वैसे राजेश घर कब तक बन जाएगा मुझसे तो इंतजार ही नहीं हो रहा.

2 साल तो इंतजार करना ही पड़ेगा जानेमन. कोई बात नहीं जहां इतना इंतजार किया वहां 2 साल और सही.

राधिका ने घर आकर अपने मायके में फोन करके माता पिता और भाई बहनों को बताया....तो सब बहुत खुश हुए लेकिन एक ही बात कही कि राधिका तुमने घर बहुत दूर लिया है इससे अच्छा होता कि तुम नजदीक में किसी स्टैंडअलोन बिल्डिंग में घर ले लेती.राधिका ने कहा मैं जानती हूं लेकिन यह मेरे ख्वाबों का आशियाना है दूर हुआ तो क्या हुआ सुंदर तो है ना.... सब ने कहा हां तुम्हारे ख्वाबों का घर हम सबके घर से खूबसूरत है.


राजेश ने भी अपने घर वालों को खबर दी...तो उसके माता पिता तो बहुत खुश हुए...पर उसके दोनों भाई ये खबर सुनकर जल भुन गए....बुझे मन से राजेश को बधाई दी.... जिठानियों ने भी राधिका को बुझे मन से ही बधाई दी....


देखते-देखते 2 साल गुजर गये....और गृह प्रवेश का वक्त आ गया. घर के बाहर तोरण सजाया गया. हर गेट को फुलमाला से सुसज्जित किया गया. लाइट्स से पूरा घर जगमगा रहा था. ये सबकुछ राजेश और राधिका ने अपनी मौजूदगी में कराया. पंडित से वास्तु के हिसाब से पूजा कराई. राजेश ने एक छोटी सी पार्टी रखी थी... जिसमें अपने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को आमन्त्रित किया. सबने घर के लिए बधाइयाँ दी और घर को खूबसूरत बताया. बस सबका एक ही कहना था... कि घर दूर है... लेकिन राजेश और राधिका अपने ख्वाबों के आशियाने को पाकर बहुत खुश हैं... उनका मानना है कि दूर हुआ तो क्या हुआ अपना मनचाहा तो हैं|



दोस्तों आपका भी अपना सपनों का घर राधिका और राजेश की तरह हुआ की नहीं.... मुझे जरूर बताईये

मेरी स्वरचित कहानी अगर आपको पंसद आई तो लाइक और शेयर जरूर करें.... आप चाहें तो मुझे फालो भी कर सकते हैं....


धन्यवाद🙏

आपकी दोस्त

@ मनीषा भरतीया

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Manisha Bhartia

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    अभी तो नहीं हुआ लेकिन कोशिश कर रहे हैं 😊 🤞 सुंदर कहानी 👏

  • Manisha Bhartia · 2 years ago last edited 2 years ago

    Jaroor hoga aapka apna sapno k ghar

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