रवि और रीना की शादी को 4 साल होने को आऐ थे।, पर रीना की गोद अब भी खाली थी।," दोनों दंपत्ति ने बहुत जतन किए।, हर मंदिर, दरगाह, मस्जिद सब जगह जाकर माथा टेका, लेकिन नाकाम रहे।,"उनकी सारी दुआएं खाली गई , हर बार निराश ही लौटना पड़ा। डॉक्टर से चेकअप भी कराया, सब कुछ सही था,पर दोनों अब तक संतान के सुख से वंचित थे। रीना दिन-रात यह सोचकर दुखी रहती थी, की उसके भाग्य में संतान का सुख है भी या नहीं!
- उसने कई बार अपने घर में बच्चा गोद लेने की बात भी छेड़ी ! लेकिन रीना की सास को यह मंजूर नहीं था, रीना और रवि किसी अनाथ बच्चों को गोद ले। " उनकी इसी जिद के कारण घर में सब कुछ होते हुए भी ऐसा प्रतीत होता था ।, जैसे पूरा घर मातम में डूबा हो! घर में बच्चे की किलकारी के लिए रीना के कान तरस रहे थे ।, दिन भर उदास चेहरा लिए रीना चुपचाप एक कमरे में बैठी रहती थी।, रीना की उदासी रवि को बहुत खलती थी। रीना की उदासी को कम करने के लिए रवि ने कहा चलो तुम्हें तुम्हारी मनपसंद चाट खिलाने ले चलता हूं। इससे तुम्हारा मन भी बहल जाएगा। तुम्हें याद है ना रीना वो चाटबाला, जो हमारे घर के पास वाले बालाजी के मंदिर के पास अपनी दुकान लगाता है।," नहीं रवि तुम चले जाओ मेरा मन नहीं है।" पहले तो रीना ने बहुत ना- ना किया, लेकिन रवि के बार-बार आग्रह करने पर बह साथ चलने को राजी हो गई। "वो लोग गाड़ी से उतरकर जैसे ही चाट खाने लगे! उन्हें बच्चे की किलकारी की आवाज सुनी! जो मंदिर के पास से आ रही थी। रीना की मंमता उमड़ पड़ी! और उस से रहा नहीं गया।वह जल्दी-जल्दी रवि का हाथ खींचकर उधर जाने लगी।" जहां से आवाज आ रही थी। ढूंढते ढूंढते उन्हें वह नवजात शिशु मिल गया। जो जोर जोर से रोये जा राहा था। रीना और रवि की आंखों में खुशी के आंसू आ गये। उन्हें समझ में आ गया था ,की ये भगवान का इशारा है। रीना ने रवि से से कहां , रवि यह बच्चा भगवान ने हम दोनों के लिए ही भेजा है। रीना और रवि बच्चे को गोद में उठाकर जाने वाले थे की, वहां पुजारी जी आ गए। पुजारी जी ने कहा! बच्चों बहुत ही नेक काम कर रहे हो। इसे कुछ घंटे पहले ही कोई यहां छोड़ कर चला गया। तुम्हारे इस नेक काम से इस नवजात शिशु को भी समाज में जीने का हक मिल जाएगा । बच्चा लावारिस नहीं कहलाएगा।
- रीना और रवि ने कहां पंडित जी आपने ठीक कहा, इस बच्चे को मां बाप मिल जाएंगे, और हमें मां-बाप कहलाने का हक मिल जाएगा। ठीक कहा बेटी! यह रीना और रवि बच्चे को घर लेकर आ गए
घरा मे रीना की सास भड़क उठी। यह किसका बच्चा ले आए हो? न जाने किस जाति का होगा किसका खून होगा? मांजी यह जात -पात तो इंसान के इंसान के बनाए हुए हैं। भगवान तो सिर्फ जीवन देता है। बचे तो कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, इसे जिस सांचे मे ढाल दो उसी में ढल जाएंगे।" मांजी यह तो अभी पैदा ही हुआ है,, खून तो सबका एक ही है माजी! जीने का हक तो सबको है, यह भगवान का इशारा है, हम इसे अपना ले, आपकी एक हां से हमारी जिंदगी में खुशी आ जाएगी। इस बच्चे को मां बाप और हमें बच्चा मिल जाएगा। आप एक बार इसी गोद में तो उठाइए,! आपके सारे भ्रम दूर हो जाएंगे। आखिरकार माजी को रीना की बात समझ में आई, उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए, जब उसने बच्चे को गोद में उठाया। फिर उसने रीना से कहा! ठीक सबको जीने का हक है। खुशियों पर सब का हक है।
; दोस्तों कहानी का अर्थ आपको समझ में आ ही गया होगा।
इस कहानी का सारांश यही है की हम सब को एकजुट हो कर इस जाति के भेदभाव को हटाना होगा । भगवान तो हम सब को इस दुनिया में लाता है , जातिवादी का अंतर तो हम इंसान का किया हुआ है। खून का रंग तो सब लाल ही है। अगर रीना और रवि की तरह हर दंपत्ति बच्चा गोद ले तो कोई बच्चा अनाथ नहीं होगा। , और इससे समाज में एक नई और अच्छी शुरुआत होगी, किसी मां की गोद खाली नहीं होगी, और कोई बच्चा अनाथ नहीं कहलायेगा।
आशा करती हूं आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी।
स्वरचित व मौलिक
आपकी
मनिषा भरतीया
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌👌
Thank you,😀😀
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