स्मिरन की शादी एक संयुक्त परिवार में हुई थी।, राज के घर में उसके दो भाई थे।, एक उससे बड़े रमेश भैया और दूसरा उसे छोटा पवन था, रमेश भैया शादी करते ही परिवार से अलग हो गए! घर में सबसे ज्यादा वही कमाते थे,वह चाहते तो एक आशियाना बना सकते थे ,जिसमें सब मिलजुल कर रह पाते! " लेकिन उनकी धर्मपत्नी तो उनसे भी ज्यादा चालाक आई! वह पहले ही मां बाबूजी को बस खर्चे भर का पैसा देते थे।,पर उनकी पत्नी ने तो आते ही खर्चा देना भी बंद कर दिया और कहने लगी की हम अलग रहेंगे।, क्योंकि अगर हम साथ में रहे तो सारी उम्र भाड़े के घर में गुजर जाएगी।, और उसे यह भी लगता था, कि मां बाबूजी बेटे को पोट सारे पैसों पर हक जमा लेंगे।इसलिए उसने आते ही साल भर के अंदर ही घर को तोड़ दिया।,"
और रही बात राज और पवन की तो वो ठीक -ठाक कमा लेते थे।, राज काम के साथ साथ पढ़ाई भी करता था।, पर पवन ने ग्रेजुएट के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी।,"वक्त बीतते गया देखते देखते पवन की शादी का समय भी आ गया।," सबने देखभाल कर एक अच्छा रिश्ता देख उसकी शादी कर दी।," पवन भी अपनी गृहस्थी में बस गया।, राज और पवन दोंनों प्राइवेट कंपनी मैं जॉब करते थे।," लेकिन दोनों के विचारों में बिल्कुल भी समानता नहीं थी।," राज को ज्यादा पे के बाहर के कई ऑफर आते थे , पर वो अपना शहर छोड़ कर जाना नहीं चाहता था।," जबकि पवन हमेशा मौके की ताक में रहता था।," आखिरकार पवन के बच्चे के जन्म के शुभ अवसर पर चेन्नई में बढ़िया पैकेज पर घर के साथ जॉब का ऑफर आया।," और उसने अपने परिवार समेत चेन्नई जाने का फैसला कर लिया।,"शुरुआत में वह 1 महीने के लिए अकेला ही गया।," फिर उसने अपने बीबी बच्चे को भी बुला लिया।," रीता (पवन की पत्नी )और पवन के बहुत आग्रह करने पर मां बाबूजी भी राज और राज की पत्नी को समझा-बुझाकर पवन के साथ चेन्नई रहने लगे।," क्योंकि पवन का बच्चा अभी छोटा था ,जब की
राज का बेटा चार और बेटी 2 साल के हो चुके थे।" इसलिए उनकी जिम्मेदारी ज्यादा पवन के प्रति थी।," इसलिए मन मारकर राज ने अपने मां बाबूजी को उनके साथ जाने दिया।अब चूंकिं तीनों भाइयों का परिवार एक साथ रहता तो ₹10000 रेंट का देना खलता नहीं था।," लेकिन धीरे-धीरे पूरा परिवार टुकड़ों में बंट गया तो राज और स्मिरन ने सोचा कि हम चार सदस्य के लिए चार बेडरूम और बड़े होल के फ्लैट की कोई जरूरत नहीं है।," और ऊपर से 3 साल में बदलने का झंझट! , सो उन्होंनें सोचा की क्यों ना अपना घर ले लिया जाए! , जितना हम भाड़ा देते है इतने में तो लोन की किश्त ही चूक जाएगी।लेकिन समस्या यह थी, की जो भी घर उन्हें पसंद आ रहे थे, वो सभी लगभग 40 लाख करीब बजट के थे।,और राज की कमाई लगभग 40 हजार थी।,बच्चों की स्कूल फीस,बस और घर का खर्चा मिलाकर 20 हजार करीब तो लग जाता था।, तो बचत सिर्फ ₹20000, की थी।," इसलिए वह ₹200000 से ज्यादा का लोन नहीं ले सकते थे," और उनकी जमा पूंजीं 5, लाख की थी।,अब समस्या यह थी, की 15 लाख और कहां से लाए! " इसलिए राज अब इसी उधेड़बुन में था कि अब क्या करें? , तभी स्मिरन ने उसे चिंतित देखकर कहा कि आप इतनी चिंता क्यों करते हो! मेरे पास दो सोने की सेट है।, एक मेरे पीहर का और एक जो आप लोगों ने दिया।," दोनों मिलाकर 16, 17 लाख के करीब होंगे। , हम उसे बेच देंगें
और फ्लेट ले लेंगें।" यह सुनकर राज बहुत गुस्सा हो गया।," नही! स्मिरन मैं तुम्हारे गहनें कैसे ले सकता हूं।,एक पति अपनी पति को देता है,की उससे लेता है।," और फिर अगर तुम अपने सारे गहने दे दोंगी तो तीज - त्योंहार में पहनोंगी क्या?,तुम्हारे पास स्त्री धन के नाम पर पर तो कुछ रहेंगा ही नहीं!,तो स्मिरन ने कहा की पतिदेव पहले घर जरूरी है,गहने तो फिर बन जायेंगें!
" और रही बात तीज- त्योंहार पर पहननें की तो मेरे पास एक से एक आर्टिफीशियल ज्बेलरी है,मैं वो पहन लूगीं।,दुसरी बात स्त्री धन की तो मै आपसे पूछती हूं,की क्या आप हमेशा इतना ही कमाओगें? अरे भयी आपकी तरक्की भी तो होगी! धीरे- धीरे एक - एक करके आप मुझे गहने बनबा देना।,और गहने तो होते ही है आड़े वक्त पर काम आने के लिये! अब आप ज्यादा मत सोचो ये गहने ले लो।,अगर आपने नही लिये तो मैं समझूगीं की आप मुझे अपना समझते ही नही! कहकर स्मिरन ने मुंह फुला लिया।,तो न चाहते हुये भी राज ने स्मिरन के गहने ले लिये और कहा तुम जीती मैं हारा। और दुसरे दिन ज्बेलर को गहने बेचकर घर की रजिस्टरी करवा ली।
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