दीपिका बेटी तेरे लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है ...लड़के वाले शाम को तुझे देखने आ रहे हैं उन्होंने तो तुझे फोटो में ही पसंद कर लिया है..... देखना तो बस औपचारिकता भर है.... बेटा लड़का पढ़ा लिखा तो है ही साथ ही साथ मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है.... परिवार भी बड़ा नहीं है बस माता-पिता और एक बहन ही है जिसकी भी शादी हो चुकी है. रंग रूप में भी लाखों में एक है.... हर बार की तरह उटपटांग हरकतें करके अपने आप को रिजेक्ट मत करवाना बेटी.अब शादी की उम्र हो गई है तो शादी तो करनी ही पड़ेगी.
मां आप तो जानती हो कि मैं आप और पापा की इकलौती औलाद हूं.मेरे जाने के बाद आप दोनों का कौन ख्याल रखेगा? ? मुझे शादी करनी नहीं फिर आप बार-बार क्यों मेरे लिए रिश्ते देखती हो.मैं शादी करूंगी तो उस लड़के से जो मेरे मम्मी पापा को अपने मम्मी पापा की तरह समझेगा.
तब सुमित्रा जी (लड़की की मां) ने कहा बेटी तू इतनी चिंता क्यों करती है...... भगवान का दिया सब कुछ है हमारे पास .....तुम्हारे पापा अगर सारी जिंदगी काम ना भी करे तो भी हमें पैसों की दिक्कत कभी नहीं आएगी. तेरे जाने के बाद एक केयरटेकर रख लेंगे.बाकी सब काम के लिए तो छोटू है ही.
अरे मां बाहर वालों और अपनों में फर्क होता है आप क्यों नहीं समझती हो.
अच्छा ठीक है अगर मुझे सब कुछ सही लगा तो मैं शादी के लिए हां कर दूंगी.....
शाम को लड़के वाले आ गए, लड़के के माता-पिता और नरेश को दीपिका एक नजर में पसंद आ गई उन्होंने तो कह भी दिया कि समधी जी- समधन जी हमारी ओर से तो हां है... हमें दीपिका बिटिया बहुत पसंद है.
सुमित्रा जी व सुशील जी ने कहा हमें भी यह रिश्ता मंजूर है बस एक बार दीपिका बिटिया हां कर दे...
जब दीपिका ने कहा अंकल आंटी अगर आप बुरा ना माने तो मैं नरेश जी से अकेले में कुछ बात करना चाहती हूं.....
हां बेटा क्यों नहीं यह जीवन भर का बंधन है.....पूरी तसल्ली के बाद ही हां करो.
दीपिका ने कहा नरेश जी आपको नापसंद करने का तो सवाल ही नहीं उठता ...."लेकिन मैं शादी करना ही नहीं चाहती."
तब नरेश ने कहा कि आप शादी क्यों नहीं करना चाहतीं कुछ तो वजह होगी??
आप सुंदर ,सुशील ,पढ़ी लिखी समझदार लड़की हैं, आपसे तो कोई भी लड़का शादी करना चाहेगा.... फिर आप क्यों शादी करना नहीं चाहतीं?
जानती हूं....पर मैं अपने मम्मी पापा की इकलौती संतान हूं और उनके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा. मैं चाहती हूं कि आप भी उन्हें अपने मम्मी पापा ही माने...उनकी तकलीफ में, बीमारी में उनके साथ होकर एक बेटे होने का सहयोग दें. जैसे की आपके मम्मी पापा मेरे मम्मी पापा होगें. मैं दिल से उनकी सेवा करूगीं.... ठीक वैसे ही....
क्या आप मेरे मम्मी पापा को अपने मम्मी पापा की तरह मानेंगे....?? अगर हाँ तो मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूँ....
नरेश ने कहा हां हां क्यों नहीं बस इतनी सी बात....मैं उन्हें हमेशा अपने मम्मी पापा की तरह ही मानूंगा.... तुम निश्चिंत रहो.
आपने तो मेरी दुविधा ही दूर कर दी , आपसे पहले भी कितने लड़कों से मैंने यह बात कही लेकिन सब ने इंकार कर दिया और ऊपर से यह कहा कि इतनी फिक्र है अपनी मम्मी पापा जी तो आप शादी ही मत कीजिए.
धन दौलत की मेरे पापा के पास कोई कमी नहीं है दोनों हाथ से भी लुटाएंगे तो कभी खत्म नहीं होगी बस उन्हें कोई अपना चाहिए जो उनके सुख दुःख में भागीदार हो.....
अरे तुम चिंता मत करो जिस तरह मेरे मम्मी पापा शादी के बाद तुम्हारे मम्मी पापा होंगे ....उसी तरह तुम्हारे मम्मी पापा मेरे मम्मी पापा होंगे.....
चलो अब सब को खुशखबरी दे देते हैं...कि तुम्हें रिश्ता मंजूर है....
जैसे दीपिका ने कहा कि मुझे ये रिश्ता मंजूर है...सुशील जी और सुमित्रा जी खुशी के मारे फूले नहीं समाए.....
बस फिर क्या दोनों पक्षों की रजामंदी के बाद शादी पक्की हो गई.चट मंगनी और पट ब्याह हो गया और दीपिका नितिन जी के घर में बहू बन कर आ गई. अपने अच्छे व्यवहार और प्रेम से 2 दिनों के अंदर ही दीपिका ने सबका मन जीत लिया. दीपिका अपनी सासू मां से कोई भी काम नहीं करवाती थी.... महीने में एक बार रूटीन चेकअप कराने अपने साथ ससुर को ले जाना, अपने सास के पैरों में तेल की मालिश करना हर काम बड़े दिल से करती थी.साथ में नरेश भी जाता था.
लेकिन जब भी उसे अपने मम्मी-पापा के रूटीन चेकअप के लिए जाना होता तो वह नरेश से कहती, तो नरेश कहता मेरी आज इंपॉर्टेंट मीटिंग है , आज यहां जाना है, आज वहां जाना है कह कर टाल देता. कभी उसके पापा बाहर गए हो और उसकी मम्मी को पीछे से बुखार आ जाता वह कहती कि चलो मम्मी को डॉक्टर के दिखा कर ले आते हैं तब भी वह मना कर देता....
फिर भी दीपिका ने कुछ नहीं कहा. वह अकेले ही अपने मम्मी पापा और सास-ससुर दोनों की देखभाल खुशी खुशी कर रही थी...क्योंकि वह जानती थी कि इसमें नरेश के मम्मी पापा की कोई गलती नहीं. उसने कई बार अपने सास-ससुर को नरेश से कहते हुए सुना कि जाओ बहू के साथ. उसके मम्मी पापा को देखकर आओ...कि उन्हें किसी चीज की जरूरत तो नहीं ....उनका तुम दोनों के सिवा है ही कौन... तुम उनके दामाद भी हो और बेटे भी.
लेकिन उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती....
हद तो तब हो गई जब दीपिका की मम्मी को कैंसर हो गया और उन्हें अमेरिका ले जाना था इलाज के लिए. जब पता चला तब तक कैंसर लास्ट स्टेज पर था.
दीपिका ने कहा.... मैंने आज तक आपसे कुछ नही कहा. आपने शादी के समय बड़े-बड़े वादे किए थे कि तुम्हारे मम्मी पापा मेरे मम्मी पापा होंगे लेकिन एक दिन भी आपने बेटे होने का फर्ज नहीं निभाया. बीमारी की हालत में भी आप उन्हें देखने तक नहीं गए.
पति पत्नी का रिश्ता साझेदारी का होता है. अगर एक पत्नी अपने पति के परिवार को अपना मान सकती है तो फिर पति क्यों नहीं. कम से कम आज तो चलिए....मेरी मां जिंदगी की आखिरी सांसे गिन रही है हो सकता है कि अमेरिका के डॉक्टर उन्हें नई जिंदगी दे दें. आप इस दुख की घड़ी में साथ होगें तो पापा का भी मनोबल बढ़ेगा. तब नरेश ने कहा नहीं मैं नहीं आ सकता तुम्हारे साथ, मेरी सिंगापुर में क्लाइंट के साथ बहुत बड़ी मीटिंग है तुम अकेली चली जाओ..... इलाज तो वैसे भी डॉक्टर करेंगे और इलाज के लिए पैसों की जरूरत है जिसकी कमी है नहीं. चिंता मत करो तुम्हारी मम्मी को कुछ नहीं होगा वह ठीक हो जाएंगी...... वैसे भी देखा जाए तो मम्मी पापा तो वह तुम्हारे हैं मेरे तो सास ससुर हैं....
ठीक कहा आपने वो मेरे माता पिता हैं लेकिन सास ससुर तो आपके भी हैं!!क्या आपका अपने सास ससुर के प्रति थोड़ा सा भी फर्ज नहीं है. फिर आपने उस समय यह क्यों कहा था....कि तुम्हारे मम्मी पापा मेरे मम्मी पापा हैं....??
वो तो मैंने भावनाओं में बहकर कह दिया था....
वाह नरेश वाह! किसी की भावनाओं से खेलना तुम्हें खूब आता है. तुमसे अच्छे तो वही लड़के थे जिन्होंने ये जिम्मेदारी लेने से इन्कार कर दिया था.... कम से कम झूठ तो नहीं बोला...
तुम लड़के कितनी आसानी से कह देते हो ना कि वह तुम्हारे मम्मी पापा हैं, कभी तुमने सोचा है...कि हम लड़कियां भी अगर यही कह दें कि वह मेरे सास ससुर हैं माता पिता थोड़े ही हैं तब तुम लोगों का क्या हो??
शादी सिर्फ दो आत्माओं का मिलन ही नहीं बल्कि दो परिवारों का भी मिलन होता है. जैसे एक लड़की बेटी और बहू दोनों का फर्ज निभाती है. उसी तरह लड़के को भी पति और दामाद दोनों का फर्ज निभाना पड़ता है....
खैर छोडो़ तुमसे कुछ भी बोलकर कोई फायदा नहीं है. मैं जा रही हूँ. जब तुम्हें रिश्तों की समझ आ जाए तो बुला लेना.
रूक जा बेटी... दीपिका के सास ससुर ने टोकते हुए कहा..बेटी हम भी तुम्हारे साथ अमेरिका आ रहे हैं... और अब हम सब एक साथ रहेगें... इसे छोड़ कर बहुत अच्छा किया बेटा.....ये इसी के लायक है.
दोस्तों ये मेरे विचार हैं.... मेरा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही है.... मैं तो बस अपने विचार आपके समक्ष रख रही हूँ....
क्या शादी के बाद सिर्फ औरत ही अपने सास ससुर की सेवा करें.... क्या पुरुष को अपनी सास ससुर की सेवा नहीं करनी चाहिए.... रिश्ता तो दोनों का बराबरी का है.... साझेदारी का है... तो कोई एक ही अपनी जिम्मेदार क्यों उठाए???
आपके जो भी विचार है.... कमेंट करके मुझे जरूरत बताएं....
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धन्यवाद🙏
आपकी ब्लॉगर दोस्त
@ मनीषा भरतीया
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