रामलाल जी और रूबीना अपनी दोनों बेटी रीमा और टीना के साथ सुपर्णा अपार्टमेंट में टू बीएचके फ्लैट में रहते थे..... यूं तो धन अपार नहीं था पर खाते कमाते थे घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.... गृहस्थी अच्छे से चल रही थी ...रामलाल जी मैनेजर के पोस्ट पर थे.... दोनों बेटी में लगभग 3 साल का अंतर था..... बड़ी रीमा और छोटी टीना दोनों ही पढ़ने में बहुत तेज थी..... बड़ी की पढ़ाई कम्पलिट हुई तो रामलाल जी ने अच्छा घराना देखकर फूलचंद जी के बेटे रवि से उसकी शादी कर दी... दोनों खानदान बराबरी के थे..... दोनों बहनों में घनिष्ठता बहुत ज्यादा थी .....इसलिए जब एक की विदाई हुई तो दूसरी फूट-फूटकर रो रही थी तो बड़ी ने कहा कि तू चिंता मत कर छोटी मैं तेरी शादी अपने आसपास ही करवाऊंगी..... तब छोटी ने कहा ना ना दीदी दीदी मैंने सुना है कि आस पास रहने से रिश्ते बिगड़ जाते हैं ,रिश्ते में दूरियां आ जाती है.... तब बड़ी ने कहा ऐसा कुछ नहीं होता रे पगली.....
पहले -2 तो टीना साल भर तक दीदी को मिलने ससुराल बहुत जाया करती थी....लेकिन ससुराल जाने आने में 4 घण्टे लगते थे....इसलिए ज्यादातर फोन पर ही बातें होती थी..... और रीमा भी बीच बीच में पीहर आ जाती थी.... इस तरह शादी को 5 साल गुजर गये.... और रीमा भी एक बच्चे की माँ बन चूकी थी.... और टीना की भी पढाई कम्पलिट हो चुकी थी..... और शादी लायक उम्र भी हो गयी थी..... तब बहन रीमा ने पंकज नाम के एक लड़के से बात चलाई....और उसे टीना की फोटो दिखाई...पंकज अक्सर उसे मंदिर में मिलता था.... और बहुत ही भला लड़का था.... फोटो देखते ही पंकज को टीना पंसद आ गयी.... टीना को भी पंकज पसंद तो आ गया था..... लेकिन वो अपनी बहन के आसपास शादी करने से थोडा़ कतरा रही थी... और मन ही मन सोच रही थी..... कि दीदी ने जो कहा वो ही हो गया.... फिर क्या दोनों परिवारों के बीच बातचीत हुई..... और चट मंगनी पट ब्याह हो गया... लड़के वालों का खानदान लड़की वालों से ऊंचा था.... लेकिन उन लोगों की कोई अनैतिक मांग नहीं थी.... बहुत ही भले लोग थे....
रीमा बहुत खुश हुई यह सोच कर कि उसकी छोटी बहन अब उसके बगल में ही आ गई है.... शुरू शुरू में तो वह उस पर बहुत प्यार लूटाती....आए दिन उसकी उसकी पसंद का कुछ ना कुछ बना कर दे आती कभी उसे अपने घर बुला लेती और उसे ढेर सारे तोहफे देती..... टीना भी बहुत खुश थी....वह भी अपने भांजे के साथ खूब खेलती और उसके लिए चॉकलेट खिलौने और ड्रेसेस लेकर ही जाती.... इसी तरह 2 साल गुजर गए और टीना भी प्रेग्नेंट हो गई. .... गांव में कोई बडा़ अस्पताल और उसकी सासु माँ के न होने के कारण उसकी डिलीवरी और जापा पीहर में ही हुआ......जिसके कारण उसके पति को खाने पीने की दिक्कत होने वाली थी....सो टीना ने अपने पति से कह दिया....कि वो एक महीने सुबह और रात दीदी के यंहा ही खाना खा ले....फिर तो जितने भी दिन टीना पीहर में थी.... हर दिन उसके दीदी से उसको ताना सुनना पड़ता...... कौन इतना किसी के लिए करता है ...मुझे रोज तुम्हारे पति के लिए खाना बनाना पड़ता है तुम तो एक महीने बाद आओगी..... तुम्हारे क्या चीज की कमी है रोज गाड़ी से आ जाएंगे चले जाएंगे...उन्हें वही क्यों नहीं बुला लेती वगैरा-वगैरा.... टीना को सुनकर बहुत खराब लगता...लेकिन फिर भी वह एक कान से सुनती दूसरे कान से निकाल देती क्योंकि वह जानती थी रोज आना जाना पॉसिबल नहीं होगा.....और अपनी माँ से कुछ नहीं बताया ये सोचकर की वो दुखी होगी...
1 महीने का नहीं फिर तो यह रोज का सिलसिला हो गया और कभी कबार भूले भटके से रीमा टीना के पीरियड में टिफिन दे देती या उसके घर खाना बनाकर आ जाती ...तो इतना सुनाती कि बिचारी के कान में अन्दर तक छेद हो गये हो....
जबकि वह आए दिन अपने भांजे आयुष के लिए नित नए कपड़े, चॉकलेट, और खिलौने लेकर जाती ....अपनी नई-2 साडि़या अपनी दीदी को यूँ ही निकाल कर दे देती..... लेकिन ये सब बहन रीमा के लिए कुछ मायने ही नहीं रखता... जैसे उसका किया हुआ तो सब बेकार ही था.... उसके मुंह से कभी ये नहीं निकला...कि तू तो इतना करती है...
पर फिर भी टीना ने सबकूछ चुपचाप बर्दाश्त किया... कभी कुछ नहीं कहा.... हद तो तब हो गयी.. जब उसकी बहन ने मात्र 300 रू की साड़ी ये कहकर उसे दी की वो उसे चुभ रही है.... उसने ब्लाउज भी सिलवा लिया है.... वो बर्बाद होगा.... टीना ने बात ना बढे़ इसलिए बिना मन से ले ली.... लेकिन दुसरे दिन ही उससे बापस ले ली..... टीना को बहुत दुख हुआ.... और उसके पति को इतना खराब लगा.... कि उसने साफ-2 कह दिया.... कि दीदी से अब रिश्ता रखने की जरूरत नही है.... बस रास्ते में मिल जाए तो जयराम जी कहकर आगे बढ़ जाना.....
धीरे धीरे वक्त गुजरता गया.... और टीना को वंहा रहते हुए 15 साल बीत गये....जिन दोनों बहनों के एक दूसरे में प्राण बसते थे....दोनों बहनें एक दूसरे की कट्टर दुश्मन बन गयी...
एक दिन अचानक टीना के पति पंकज ने कहा.... कि टीना हम ये जगह छोड़ कर शहर में बड़े काम्प्लेक्स में घर ले लेते है.... पैसों की तो हमारे पास वैसे भी कोई कमी नहीं है...वैसे भी अब हमारा यंहा है ही कौन??
एक तुम्हारी दीदी थी.... अब तो करीब 12 साल से उनसे भी बातचीत बंद है....
तब टीना ने कहा जैसा आप ठीक समझे....
पंकज ने देखकर एक रेडी काम्प्लेक्स में 3bhk का फ्लैट ले लिया..... टीना काम्प्लेक्स में आकर भी इतनी खुश नहीं थी.... जितना उसे होना चाहिए था.... उसे रह रहकर बहन की याद आ रही थी..... वंहा रीमा का भी बुरा हाल था..... अब वो भी अपने किये पर शर्मिदा थी.... लेकिन बड़ी होने के अहम के कारण माफी नहीं मांग पा रही थी... दोनों को एक दूसरे की कमी खल रही थी.... वक्त अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था.... यंहा काम्प्लेक्स में रहते हुए भी 7 साल गुजर गये....
उसे अपने मम्मी पापा से पता चला की भांजे आयुष की शादी है.... मन ही मन में टीना बहुत दुखी थी.... ये सोचकर की दीदी ने शादी में भी नही बुलाया....तभी उसका भांजा आयुष अपने मौसा- मौसी को शादी के लिए आमंत्रण देने आया.... और कहा, मौसी आप तो मुझे इतना प्यार करती थी... आपको मेरी याद तक नही आई इन 7 सालों में.... पहले रास्ते में आमना सामना तो हो जाता था.... भले ही बात नहीं होती थी... मैं जानता हूँ.... कि आप दोनों को एक दूसरे की याद आती है... लेकिन दोनों ही अपनी ऐंठ के मारे पहल नहीं करती... लेकिन आप दोनों बडो़ के झगड़े में हम बच्चे क्यों पीसे.... मेरा छोटा भाई आकाश कंहा है.... सुनते ही आकाश आ गया..... और दोनों भाई गले मिलने लगे...
आयुष ने साफ साफ कह दिया..... कि अगर आप तीनों शादी में नहीं आए.... तो मैं शादी ही नहीं करूगां.... मम्मी भी दिल से यही चाहती हैं..... उन्होंने मुझे यंहा भेजा है.... बस अपने बड़ी होने के अहम के कारण वो आपसे माफी नहीं मांग पा रही है.... मैनें देखा है... कि वो अकेले में आपको और छुटकु आकाश को याद करके रोती रहती है.... टीना ने आयुष को गले लगा लिया.... और कहा की शादी में हम जरूर आएगें.... उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे....
आपको क्या लगता है दोस्तों पास पास रहने से दुरियाँ आ जाती है??
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धन्यवाद🙏
आपकी दोस्त
@ मनीषा भरतीया
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