सुमित्रा जी अपने भरे पूरे परिवार के साथ सुमित्रा निवास में रहती है उनके अलावा परिवार में पति शैलेश जी, तीन बेटियां और एक बेटा है जिसमें दो बेटियों की शादी हो चुकी है इसके अलावा उनकी दो ननदें है जो आती जाती रहती है सुमित्रा जी का अपने नंनदों के साथ भी बहुत प्रेम भरा संबंध है क्योंकि उनका स्वभाव बहुत ही सरल और सौम्य है.....
दोनों ननदों के बेटों के ब्याह हो चुके है अब बारी सुमित्रा जी की बेटे को ब्याहने की है क्योंकि सुरेश अपनी बहन सरिता से 4 साल बड़ा है इसलिए सब ने मिलकर तय किया है कि पहले बहू लाएंगे फिर बेटी को विदा करेंगे....
जोर-सोर से सुरेश के लिए लड़की देखी जा रही है लड़की तो कई पसंद आई है सुरेश को और बाकी घर वालों को लेकिन सब उड़न छू तितली टाइप है. अभी तक ऐसी कोई भी लड़की का रिश्ता नहीं आया जो घर घिराने को संभाल सके. लेकिन देखते देखते सुरेश के दोस्त रवि की बहन शिखा का रिश्ता आया....शिखा बहुत ही समझदार पढी लिखी और शालीन स्वभाव वाली लड़की थी. सुरेश और बाकी घर वालों को देखते ही लड़की समझ में आ गई. खूब धूमधाम से और गाजे-बाजे के साथ शादी हो गई लड़की वाले और लड़के वाले दोनों ने जमकर खर्च किया....
घर में प्रवेश करते ही उसने घर की बागडोर अच्छे से संभाल ली छोटे से प्यार और बड़ों का आदर सत्कार उसे खूब आता था. घर हो या बाहर हर जगह सब उसके सौम्य स्वभाव की वजह से उसे पसंद करते थे सुमित्रा जी और बाकी घर वाले भी शिखा से बहुत प्यार करते थे सुमित्रा जी अपनी बेटी और बहू में कोई फर्क नहीं करती थी बस उनका यही कहना था कि बहू तुम कपड़े जो भी पहनो पर जब भी तुम अपने ससुर जी के सामने आओ थोड़ा दुपट्टा डाल लेना बाकी उसे हर कपड़े पहनने की छुट थी उसे भी इससे कोई समस्या नहीं थी....
सुमित्रा जी की नंनदे जब भी घर पर आती गेट पर ही शिखा उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेती और उनके पसंद का खाना बनाकर अपनी बुआ सास का खूब आदर सत्कार करती शिखा जैसी गुणी और संस्कारी लड़की को देखकर दोनों नंनदे कहती भाभी तुम्हारे तो भाग्य खुल गए हीरे जैसी बहू मिली है इतनी संस्कारी और समझदार बहू आई है और एक हमारी बहू को देखो किसी के आने से खाना बनाना तो दूर खुश होना भी नहीं जानती. चरण स्पर्श के लिए भी चार बार बोलो तब कहीं मुंह बनाकर चरण स्पर्श करती है.. और तो और हमारे साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं करती.. तब सुमित्रा जी ने कहा कि दीदी अगर बहू को बेटी समझेंगे तभी बहू भी आपको मां समझेंगी. लेकिन अगर आप उसमें और अपनी बेटी में फर्क समझोगे तो फिर तो वो कहां दिल से आपको अपनाएगी. मैं यह नहीं कहती कि फर्क मत करो लेकिन रत्ती भर फर्क और जमीन और आसमान का फर्क में अंतर है बस यही फर्क है आपकी और मेरी सोच में...
नंनद जी आपको बहू रखनी नहीं आती...
आपने तो बहू ने घर में कदम रखा नहीं कि उसे फरमान सुना दिया तुम साड़ी के अलावा और कोई परिधान नहीं पहन सकती नाइटी तुम्हें सिर्फ अपने कमरे में ही पहननी है....रसोई में तुम्हें नहाकर ही जाना है घर में जो सब पसंद करते हैं वही खाना बनेगा तुम्हें उसी में एडजेस्ट करना पड़ेगा वगेरह-वगेरह...
अब आप ही बताइए दीदी जिसे आप बहू बना कर लाई है उसे पिंजरे में कैद कर के रखना चाहोगी तो बिचारी कैसे अपना जीवन काटेगी जैसे हम अपनी बेटियों को उड़ने के लिए पर देते हैं उन्हें भी हमें पर देने होंगे वरना उन्हें हमारे दकियानूसी विचारों से घुटन महसूस होगी और चिढ़ हो जाएगी.. बाकी वो जो मर्जी बनाए खाए इससे मुझे और बाकी घर वालों को कोई समस्या नहीं है....
दीदी जब हम बहुओं को छुट देते है...तो वो भी हमारी छुट का मान रखती है...वह भी इतनी नादान नहीं होती.....वह भी समझती है....कि घर की मान मर्यादा की रक्षा कैसे करनी है....कब क्या पहनना है ....कब क्या करना है ...उन्हें भी समझ आता है अब मैंने तो इससे नही कहा था कि शिखा बेटा तुम आज साड़ी पहन लेना क्योंकि तुम्हारी बुआ सास आएगी इसे खुद ही लगा की इसे साड़ी पहननी चाहिए सो इसने पहन ली...
ये तो एक उदाहरण दिया है मैंने....ऐसे ही हर स्थिति में अपने आप को ढाल लेती है बस जरूरत है थोडे़ से प्यार की....
आपकी बहू भी मेरी बहू की तरह हो जाएगी. अगर आप सास बनकर नहीं बल्कि मां बनकर अपनाएंगी....
आशा करती हूं....दीदी आप लोगों को मेरी बात समझ में आ गई होगी.. तब दोनो ननदों ने कहा हां भाभी आपकी बात अच्छी तरह समझ में आ गयी...
हमारी आंखे खोलने के लिए धन्यवाद भाभी......
दोस्तों ये अक्सर प्राय: हर घरों में होता है कि सास बहू से उम्मीद करती है कि वो संस्कारी, गुणी, और सबका कहना मानने वाली हो उसकी हर बात को चाहे गलत हो या सही सर झुकाकर स्वीकार कर ले लेकिन वो खुद में रत्ती भर में बदलाव लाना नही चाहती बेटी और बहू दोनों को अलग नजर से देखती है तो बहू भी सास को क्यों मां समझेगी अगर सास प्यार से कुछ अपने बदलाव लाएगी तो बहू भी अपने आप उस सांचे में ढल जाएगी...
दोस्तों आपको क्या लगता है सुमित्रा ने जो अपनी ननदो को समझाया क्या वो सही था??? बहू और बेटी में रत्ती भर फर्क क्या आपके हिसाब से सही है??
प्लीज अपने सुझाव मुझे कमेंट के माध्यम से दीजिये...
मुझे आपके जबाब का इंतजार रहेगा...
अगर आपको मेरी स्वरचित रचना पंसद आई हो तो इसे प्लीज लाइक, कमेंट और शेयर करना मत भूलिए....
धन्यवाद🙏
आपकी ब्लॉगर दोस्त
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