दो सहेलियां रीता और सुनीता,दोंनों ही मध्यम परिवार से,पर दोंनों के विचारो में बिल्कुल भी समानता नही! ,रीता छोटी- छोटी चीजों में खुशियां ढ़ुढ़नें वाली,पति के साथ पार्क जाने में,शाम की चाय साथ पीने में,बसों में घुमने में,और छोटे सिनेमाघरों में पिक्चर देखने में,तो दुसरी सुनीता हर बक्त उन्हीं खुशियों को ठोकर मारकर दुंखी रहने वाली! जाना है तो टैक्सी में ही जाना है,पिक्चर देखनी है तो मल्टीप्लैक्स में ही,चाय पीनी है तो कांफीडे में ही।,इसलिये सुनीता ,रीता से पूछती है की तुम इतने कम पैसों में खुश कैसे,तो रीता कहती
मैं छोटी- छोटी खुशियों मे खुश रहती हूं।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👏
Thank you so much soniiji🙏🙏
Please Login or Create a free account to comment.