ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन फोन की घंटी बजी करीब सुबह के 9:30 बज रहे थे..... और रेशमा किचन में काम कर रही थी.... उसके हाथ आटे में सने हुए थे क्योंकि उसे उसके पति (रवि) को टिफिन जो देना था.... सुबह-सुबह सभी गृहणी की तरह वह भी बहुत व्यस्त रहती थी..... फिर वह आटे में सने हुए हाथ से ही फोन उठाने गई तो देखा कि उसकी मम्मी का फोन आया था...... झुंझलाहट में उसने फोन उठाकर कहा . ...ओफ! हो मम्मी मैंने आपसे कहा है ना कि मेरी अभी अभी नई नई शादी हुई है.... शादी को सिर्फ 6 महीने हुए हैं... यूँ सुबह सुबह फोन मत किया करो.... ऐसा कौन सा जरूरी काम था कि आप थोड़ी देर इंतजार न कर सकी.... चलिए अभी फोन रखिए मैं अभी बहुत व्यस्त हूं थोड़ी देर में आपको फोन करती हूं....फिर रेशमा किचन में आकर पराठे बनाने लगी ताकि रवि का टिफिन पैक कर सके.... 10:00 बजे करीब जब रवि ऑफिस के लिए निकल गया तब उसे एहसास हुआ कि आज उसने अपनी मम्मी से कितनी खराब तरीके से बात की.... उसे अंदर ही अंदर गिल्ट महसूस हो रही थी लेकिन वह भी क्या करती . ..मम्मी का रोज का यही काम था.... इसलिए आज गुस्से में कुछ ज्यादा ही रूडली बात की.... इसलिए उसने जल्दी से मम्मी को फोन लगाया और कहा मां आप मुझे माफ कर दीजिए मैं सुबह कुछ ज्यादा ही बोल गई आपको....तब उसकी मम्मी ने कहा कोई बात नहीं बेटा गलती मेरी ही थी.... अब मां प्लीज शर्मिंदा मत करो और बताओ फोन क्यों किया था? ??
वो बेटा तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही.... ठंड के मारे सर्दी जुखाम भी ज्यादा हो गई है और नीचे टहलना भी नही हो रहा.... जिसकी बजह से गैस भी बहुत ज्यादा बनती है... तो भुख भी नहीं लगती.... अब तू थी.... तो दस बार तुझे दुत्कार ने के बाद भी हल्का फुल्का जबरदस्ती खिला ही देती थी.... जिससे कमजोरी महसुस नही होती थी..... पर अब कौन पुछने वाला है,... तब रेशमा ने कहा... मम्मी आपका ख्याल रखने के लिए भाभी है ना वह आपको पूछेंगी..... अरे कंहा बेटा मुझ बुढिया को कौन पुछता है... मैंने खाया या नही खाया इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है.... लेकिन माँ मुझे ऐसा नहीं लगता है... कि भाभी आपको पूछेंगी नही...वो मेरा और तुम्हारे जमाई का भी कितना ख्याल रखती है..... मैं जब भी पीहर आती हूँ...मुझे एक कप चाय तक बनाने नहीं देती.... हर वक्त तीमारदारी में लगी रहती है.... मुझे बिल्कुल अपनी छोटी बहन की तरह मानती .. ..अरे बेटा तू बहुत भोली है...और तेरी भाभी उतनी ही चालाक..,. यह सब वो सिर्फ तारीफें बटोरने के लिए तेरे सामने करती है.... घर में रोज तीनो टाइम सब्जियां मैं ही काटकर बनाती हूं वह तो सिर्फ रोटियां सेंकती है....और संडे को जब कोई आइटम बनाती है....तब भी सारी तैयारियां मैं ही करती हूँ...तुझे यह सब कैसे पता होगा तेरी शादी उसकी शादी के पहले ही हो गई थी.... और रही बात गिफ्ट की तो वह अपने मायके से मिले हुए सस्ते गिफ्ट तुम को पकड़ा देती है...जिससे तुम खुश हो जाती हो....और अपने मायके वालों के लिए बढ़िया और महंगे गिफ्ट खरीद कर लाती है.... तुम जितना अपनी भाभी को भली समझती हो ना वह उतनी भली नहीं है बेटा... वो मुझे दवाई देना हो या खाना पुछना हो.... बस एक बार पुछती है..... दिखावे के लिए... अगर वो सही में मुझे अपनी माँ जैसी मानती.... तो मुझे जबरदस्ती करके जरूर खिलाती.... तुम्हें क्या लगता है.... शादी से पहले वो अपनी माँ को बार बार नहीं पुछती होगी??
जो भी हो मां पर मुझे ऐसा नहीं लगता मेरे साथ तो भाभी का व्यवहार बहुत अच्छा है....और दुनिया भी जो देखती है...उसी को सच मानती है.....इसलिए भाभी को आप खराब बताएगी...भी तो कोई आप पर विश्वास नही करेगा....फिर भी अगर आप बोलती है ऐसा है तो इसमें गलती आपकी भी जरूर होगी.... क्योंकि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती.....अगर उन्होंने आपको मां नहीं माना तो आपने भी अभी तक उन्हें अपनी बेटी नहीं माना है..... जिस तरह आप मेरी गलती पर मुझे समझाती थी भाभी को भी समझाइए वह जरुर समझेगी.....आपको भी अपने इगो को साइड में रख कर सास बनकर नहीं बल्कि मां बनकर समझाना होगा.... एक और बात माँ आपको भी अपने बहू से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें है...इतनी उम्मीदें पालना अच्छा नहीं है.... वैसे भी सबको अपने माता पिता ही अच्छे लगते हैं..... सास ससुर किसे अच्छे लगते हैं... हर आदमी को आजादी पंसद है.... आजकल तो ज्यादातर लड़कियां अपनी गृहस्थी अलग बसाना चाहती है.... उन्हें सास ससुर कुछ ना भी वोले चुपचाप घर में रहे.... तब भी बंदिश लगती है...और तारीफ बटोरने के लिए ही सही ननद ननदोई का मान सम्मान करती है....इतना भी काफी है....क्योंकि आजकल ननदें भी किसी को कंहा पसंद रहती है....ननद घर आ रही है...काम बढ़ जाएगा...ये सुनकर नाक मुंह सिकौड़ने लगती है....गिफ्ट देना तो बहुत दुर की बात है.... खाना बनाकर रख देती है.... एक बार भी पुछती तक नहीं.... तुम तो किस्मत वाली हो माँ.... तुम्हें तुम्हारी बहू एक बार तो पुछती है... इसलिए माँ मैं तो कहुगी.... कि आप अपनी बहु को बेटी बनाकर उसी से तालमेल बढ़ाओ.... क्योंकि काम आपके वही आएगी.... मैं तो अब पराई हो चूकी हूँ.... मुझे अपनी गृहस्थी संभालनी है...देखती हूँ...एक दो दिन में आऊंगी थोड़ी देर के लिए.... चलो मां मैं अब रखती हूँ...
दोस्तों आपको क्या लगता रेशमा ने जो अपनी मां को समझाया क्या वह ठीक था? ?? आपकी इस बारे में क्या राय है प्लीज अपने विचार कमेंट करके मेरे साथ साझा जरूर कीजिए? ? अगर कहानी पसंद आई हो तो इसे फिर लाइक और शेयर करना मत भूलिए....मेरा प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए मुझे फॉलो करना मत भूलिए.....धन्यवाद🙏आपकी ब्लॉगर दोस्त@ मनीषा भरतीया
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