रवि अपने माता पिता के साथ उड़ीसा के एक छोटे से गाँव में रहता था। उसने अपनी बीएससी की परीक्षा पास कर ली थी। अब आगे वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता था। जो की गांव में संभव नहीं थी। रवि के पिता बहत गरीब थे,लेकिन उन्होंने कभी अपने हालातों को रवि की पढ़ाई के बीच नहीं आने दिया, लेकिन अब आगे की पढ़ाई में बहुत खर्च होने वाला था। जो कि अकेलेे उनके लिए कठिन ही नहीं नामुमकिन था, इसलिए रवि ने यह फैसला किया की वह पढ़ाई के साथ साथ काम भी करेंगा जिससे उसके पिताजी की मदद भी हो जाएगी। पुणे में रवि की मौसी का घर था, इसलिए सबने मिलकर तय किया की रवि आगे की पढ़ाई के लिए पुणे चला जाएगा जिससे कि उसकेे माता-पिता की चिंता भी कम हो जाएगी ओर रहनेेेे खाने का खर्च भी बच जाएगा अगले दिन वह पुने के लिए रवाना हो गया। वहांं उसका इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला हो गया। ४ साल का कोर्स था। साथ ही साथ कॉलेज के आस-पास ही रवि की पार्ट टाइम जॉब भी लग गयी वह दिन में कॉलेज जाता और रात को जॉब करता धीरे धीरे रवि का पढ़ाई और काम दोनों में मन लगने लगा रवि को भी लगने लगा कि पिताजी का बोज भी कुछ हल्का हो गया। इस तरह दो साल गुजर गए सब कुछ अच्छा चल रहा था। माता-पिता भी यह सोच कर खुश थे की उम्मीद बंघ रही है, बेटा बुढ़ापे का सहारा बनेगा एक दिन शाम को वह अपने काम से लौट रहा था। तभी उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी जो कि अपनी लाल रंग की चमचमाती हुई गाड़ी से उतरी ,बला की खूबसूरत लंबेेे चमकदार बाल, बड़ी-बड़ी आखे, पंखुड़ियों से होंठ सर से लेकर पैर तक खूबसूरत उसके रूप का वर्णन तो जैसे शब्दों में किया ही नहीं जा सकता।, रवि की आंखें तो जैसे फटी की फटी ही रह गई या यू कह सकते हैं, की पहली नजर में उसे उससे प्यार हो गया। वह कुछ बोलता, जान पहचान करता इससे पहले ही वह आंखों से ओझल हो गई । वह उसी पांव घर लौट आया । उसकी दीवानगी तो इस कदर बढ़ गई थी। , की उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। लेकिन करें भी तो क्या करें , उसके पास ना तो उसका फोन नंबर था ना ही घर का कोई ठिकाना, अपने प्यार का इजहार करें तो कैसे करें । फिर अचानक उसके मन में ख्याल आया। क्या वो उसे स्वीकार करेगी?, क्योंकि वह एक गरीब आम सा दिखने वाला नौजवान कहां वो महलो़ की रहने वाली वला की खुबसुरत, लेकिन उसने मन मैं ठान लिया , कि एक बार ही सही वह अपने प्यार का इजहार करके ही रहेगा, बस भगवान एक बार फिर उसे मिला दे। जो होगा देखा जाएगा।प्यार ऊंच- नीच ,अमीरी गरीबी, भेदभाव से बहुत ऊपर है। यही सोचकर बह रोज घर से निकलता हर सड़क ,हर गली, हर चौराहे पर उसे मारा मारा ढूंढता रहा लेकिन असफल रहा। इस बात को २ महीने गुजर गए , अचानक एक दिन वह अपने काम से लौट रहा था। फिर उसकी नजर उस लड़की पर पड़ी। लेकिन दोस्तों यहां आप जैसा समझ रहे हैं वैसा कुछ नहीं हुआ। लड़की गाड़ी से उतरी तो थी।पर उसकी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र था, जो इस बात का संकेत दे रहे थे कि वह शादीशुदा है।, यह देखकर रवि तो हैरान हो गया, और कुछ बोल ही नहीं पाया। उसे तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसकी दुनिया ही लुट गई हो, वह अपनी आंखों में आंसू लिए हुए घर लौट आया। उस दिन के बाद वह पागल जैसा हो गया, उसकी पूरी दुनिया एक कमरे में ही सिमट कर रह गई, पढाई भी, छोड़ दी थी उसने,इतना ही नही अपने आप को शराब में भी डूबो लिया।
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मुझे तो लगता है, की रवि को इस तरह अपनी जिन्दगी को बर्बाद नही करना चाहिए था।,आपकी क्यां राय है ,इस बारे में अपने बहुमूल्य विचारों से कमेंट में अबश्य बतायें।
आपकी अपनी
@ मनीषा भरतीया
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