सविता जी वैसे तो बहुत ही सरल स्वभाव की थी |उन्हें किसी भी चीज में उंगली करने की आदत नहीं थी |लेकिन उनके कुछ अपने नियम थे|, जिनसे वह समझौता नहीं करना चाहती थी| सविता जी अपने पति ,बेटी ,बेटा और बहू के साथ सविता निवास में रहती थी| वह बेटी और बहू में कोई फर्क नहीं करती थी |दोनों को एक नजर से देखती थी|, बस उनका यह मानना था |,की रात के झूठे बर्तन सिंक में ऐसे ही नहीं रखने चाहिए उनकी जूठन धोकर रखना चाहिए जिससे कि बर्तन में कोई इस्मेल न आए और किसी को कोई इनफैक्शऩ न हो जब तक सविता जी की बेटी शुभा की शादी नहीं हुई थी तब तक रोज शुभा मां के कहे अनुसार रात को जूठे बर्तन धो कर रख देती थी |,उनकी बहू शशि को आए हुए 5 साल हो गए थे |,लेकिन इन 5 सालों में एक भी दिन शुभा ने अपनी भाभी से नहीं कहा की आज मेरा मन नहीं है ,आप बर्तनों की जूठन धो कर रख दीजिए लेकिन अब 2 महीने से उसकी जब से सगाई हुई है, वह अपने मंगेतर के साथ कभी फोन पर तो कभी घूमने फिरने में व्यस्त रहती है जिस कारण से वह जूठे बर्तन नही धो पाती| इस बात को लेकर सास बहू में रोज तानाकशी रहती है, सबिता जी रोज रात को बहू से पूछती है कि बहू तूने बर्तन धो कर रख दिए बस यह पूछने की देरी है ,बहू शशि का मुंह फूल जाता है ओफ!ओ! मांजी खाना खाते-खाते रोज रात को 11:00 - 11:30 बज जाते हैं ,और सुबह बबलु का स्कूल 7:00 बजे लगता है ,नींद आने लगती है वैसे भी शांताबाई सुबह आकर बर्तन मांज देती है तो जूठा धोने की क्या जरूरत है? और मैं तो कहती हूं कि आप भी यह सब पुराने और बेतुके नियम हटा दीजिए कुछ नहीं होता| बर्तनों की जूठन धोने से अब सविता जी विचारी करे तो क्या करें पहले पहले तो सविता जी ने बहू से कहा कि बहू मैंने पहले कभी तुम्हें जूठे बर्तन धोने के लिए नहीं कहा क्योंकि शुभा झूठे बर्तन धोकर रख देती थी | पर अब तो 2 महीने बाद उसकी शादी होने वाली है, यह जिम्मेदारी तो अब तुम्हें ही सभांलनी होगी|पर शशि के कान पर कभी जु तक नहीं रेंगती यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा रोज सुबह बर्तनों में कभी मक्खियां तैरती रहती तो कभी तिलचट्टे मरे रहते |शांताबाई आती और बर्तन मांज कर चली जाती |इस बीच शुभा की भी शादी हो गई | मई का महीना था गर्मियों के दिन थे रात से सुबह तक बर्तन में खाने की बदबू हो जाती थी|, जो की मांजने के बाद भी नहीं जाती थी|, इसी तरह चलता रहा |शांताबाई आती |,और बर्तन मांज कर चली जाती | तभी जुन में एक दिन शशि की बचपन की सहेली पिंकी का फोन आया कि वह शिमला से दिल्ली आ रही है, अपने मायके 1 महीने के लिए जिसमें से 2 दिन बह शशि के यहां भी रुकेगी|शशि की खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहा बह उससे पूरे 3 साल बाद मिलने वाली थी |लास्ट टाइम बह उससे उसकी शादी पर ही मिली थी| उसके बाद वो जब भी दिल्ली आई दो या तीन दिन के लिए इसलिए मुलाकात नहीं हो पाई थी| शशि 2 दिन पहले से ही पिंकी के स्वागत की तैयारी में लग गई |पिंकी ने घर में घुसते ही घर की बहुत तारीफ की और कहा कि शशि तुमने तो घर बहुत ही अच्छा सजाया हुआ है, जितनी सुंदर तुम उतना ही सुंदर तुम्हारा घर |,और साथ ही साथ सास- ससुर के पैर छुए और बबलू को चाकलेट का डिब्बा और शशि की सास को मिठाई देते हुए बातें करने लगी इतने में लंच और बातें करते-करते शाम हो गई तब शशि सभी के लिए चाय और पकोड़े बनाकर ले आई और दोनों सहेलियां कॉलेज की मस्ती में खो गई और बाकी दोस्तों के बारे में पूछताछ करने लगी |ष,इतने में 8:00 बज गए| और शशि उठने लगी और कहने लगी की तू शादी का एल्बम देख मैं तब तक खाना बना लेती हूं, लेकिन यह क्या वो जैसे ही रसोई में जाती है ,सविता जी पहले ही सारा खाना बना चुकी है ,तो शशि कहती है मम्मी जी आपने इतनी तकलीफ क्यों की? मैं तो आ ही रही थी मैं बना लेती? सविता जी ने कहा इसमें तकलीफ की क्या बात है ,बेटा तुम्हारी सहेली इतने सालों बाद आई है, तो तुम्हें थोड़ा वक्त उसके साथ भी बिताना चाहिए| यह कहकर वह अपने कमरे में चली जाती है इतने में शशि के पति भी आ जाते हैं ,और पिंकी उनसे बातें करने में लग जाती है ,तभी डिनर टाइम हो जाता है, और शशि डाइनिंग टेबल पर खाना लगा देती है, सभी हंसी मजाक करते-करते खाना खाने में लग जाते हैं, फिर शशि सारे जूठे बर्तन उठाकर सिंक में रखने जाती है, तो पिंकी देखती है, की शशि सारे बर्तन बिना धोये ऐसे ही सिंक में डालकर उनमें पानी भर देती है, तो पिंकी उसे टोकते हुए कहती है, तुमने बर्तन सिंक में बिना धोये ही रख दिए| हां तो क्या हुआ शान्ता बाई सुबह 8 बजे आएगी |और मांज देगी|,तुम्हें पता भी है की रात का समय कितना लम्बा समय होता है, आठ से दस घण्टे बर्तन इसी तरह पड़े रहेंगे तो इन बर्तनों से दुर्गन्ध आयेगी, कयी तरह के जर्मस पैदा होंगे, मक्खियां तैरेगीं, तिलचट्टे मरेंगे, जिसकी बजह से जाने अनजाने कोई भी सकर्मित हो सकता है,तुम बर्तनों की जूठन को धोकर रखा करो| तुम पढ़ी लिखी होकर इतनी लापरवाह कैसे हो सकती हो?और मुझे भी ये नहीं पता था|, की तुम पढ़ी लिखी होकर ऐसी गंवारों जैसी बाते करोगी| इतनी माडर्न होने के बावजूद तुम्हारे खयालात इतने तकियानुसी होंगे| मैं तुम्हारी बातों से सहमत नहीं हूं|मेरा काम तुम्हें समझाना था| समझना या ना समझना यह तुम्हारी मर्जी है एक बात और कहना चाहूंगी तुम्हें की तुम शायद भूल गई कि मैं एक डॉक्टर की बीवी हूं, और हाइजीन के बारे में मैं तुमसे बेहतर जानती हूं | ऐसा ना हो कि तुम्हें तुम्हारी जिंद की भारी कीमत चुकानी पड़े| , मेरा क्या है, मैं तो आज भर हूं| कल सुबह रवाना हो जाउंगी यह घर तुम्हारा है, और इसकी सुरक्षा तुम्हारे हाथ में है| दूसरे दिन पिंकी अपने घर चली गई लेकिन शशि पर कोई फर्क नहीं पड़ा और सब कुछ वैसे ही चलता रहा फिर आधा जून बीतने के बाद बबलू की स्कूल खुल गई |अचानक स्कूल खुलने के 10 दिन बाद ही बबलू के स्कूल से फोन आया कि बबलू को उल्टियां और दस्त हो रहे हैं, वह बहुत सुस्त हो रहा है और उसका पेट भी बहुत दर्द कर रहा है आप उसे स्कूल से ले जाए और डॉक्टर को दिखा दें| यह सुनते ही शशि के हाथ पांव फूल गये | शशि हड़बड़ाहट में जाने लगी तो सविता जी ने पूछा बहू इतनी घबराई हुई क्यों हो?मम्मी जी बबलू के स्कूल से फोन आया था उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई है उसे उल्टियां और दस्त हो रहे हैं पेट में भी बहुत दर्द है और वह सुस्त भी हो गया है उसे डॉक्टर के पास ले जाना होगा| रुको बहू मैं भी तुम्हारे साथ आती हूं, सविता जी और शशि जैसे ही उसे डॉक्टर के पास ले गए पहले तो डॉक्टर ने जांच करके उसे 3 दिन की दवा दे दी और कहा 3 दिन बाद आकर रिपोर्ट दें|, और साथ ही साथ ओआरएस का पानी पिलाने की हिदायत दी | डॉक्टर के कहे अनुसार शशि ने पहले दिन की पूरी खुराक दे दी पर हालत में कोई सुधार नहीं हुआ| उल्टियां और दस्त वैसे की वैसी हो रही थी| पेट का दर्द भी रत्ती भर भी कम नहीं हुआ| सब की घबराहट बढ़ गई| डॉक्टर को फोन किया तो डॉक्टर ने कहा कि रात भर देख लीजिए नहीं तो इमीडिएट हॉस्पिटल में एडमिट करवाना होगा |सब की हालत चिंता में खराब हो गई| बबलू की तबियत और ज्यादा बिगड़ने लगी पेट का दर्द भी और बढ़ गया शशि ने फिर डॉक्टर को फोन किया तो डॉक्टर ने इमीडिएट हॉस्पिटलाइज करने के लिए कहा| सबसे पहले तो डॉक्टर ने बबलू को दवाई दी जिससे कि उसे आराम आ सके और पानी की कमी पूरी करने के लिए ग्लूकोज चढ़ा दिया |,क्योंकि इतने दर्द में उसकी कोई भी जांच संभव नहीं थी |ष,दूसरे दिन सुबह बबलू के खुन की जांच के साथ साथ फुड पाइजंनिग का टेस्ट भी हुआ जिससे पता चला की खाने की गड़बड़ी की वजह से उसकी यह हालत हुई है|फिर डॉक्टर ने बबलू की मां और बाकी घर वालों को हिदायत दी कि ये सब रोग गंदगी की वजह से होते हैं| जैसे बर्तन साफ न धुले हो, खाने में कोई जर्मस आ जाए और खराब खाने की बजह से वगैरह वगैरह|
आप अपने घर को नियमित साफ रखें खासकर किचन की सफाई पर ज्यादा ध्यान दें
मक्खी, तिलचट्टे,और मकड़ी इन सब का घर में आगमन ना हो|वैसे अब चिंता की बात नहीं है ,बबलू अब खतरे से बाहर है, लेकिन एक दिन उसे हॉस्पिटल में और रखना पड़ेगा ताकि उसकी तबीयत पूरी तरह से सुधर जाए|
डॉक्टर की बातें सुनकर शशि को सविता जी और पिंकी की बातें एक एक कर के जहन में आने लगी| , और उसे अपनी गलती का एहसास भी हो गया और उसे यह भी समझ में आ गया कि उसकी छोटी सी लापरवाही की वजह से आज उसका बच्चा कितनी बड़ी मुसीबत में आ गया | उसने तुरंत सविता जी के पैर छुए उनसे माफी मांगी |,और सविता जी ने भी उसे खुले दिल से माफ कर दिया| और कहां की बहू कोई बात नहीं तुम्हें मेरी और तुम्हारी सहेली की बात नहीं समझ में आई तो क्या हुआ, डांक्टर की बात तो समझ में आ गई | इतना ही बहुत है और वैसे भी एक कहावत है, सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते |इतना ही नहीं उसने फोन करके अपनी सहेली पिंकी से भी अपने किए के लिए माफी मांगी|
दोस्तों यह कहानी सविता जी के घर की नहीं घर घर की कहानी है,हम में से ज्यादातर महिलाएं वही करती है जो सविता जी की बहू ने किया है, सफाई की और ज्यादा ध्यान नहीं देती| , लेकिन हम सब को यह समझना पड़ेगा कि हमारी छोटी सी लापरवाही की वजह से हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है|
इसलिए विशेष तौर से हमें किचन की सफाई पर पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि वहां जो खाना बनता है वह हमारा पूरा परिवार खाता है और स्त्री के लिए उसका परिवार उसकी अमूल्य धरोहर है|
दोस्तों आपको मेरा ब्लॉग कैसा लगा| अपनी बहुमूल्य राय कमेंट करके जरूर बताइएगा |अपेक्षा और सराहना दोनों के लिए स्वागत है|
स्वरचित व मौलिक
@ आपकी दोस्त
मनीषा भरतीया
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut acha lekh
Thank you soni ji🙏🙏❤❤
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