हम सब जानते हैं कि जनसंख्या की दृष्टि से भारत दूसरे नंबर पर आता है| जिसके कारण इंसान बेरोजगारी की समस्या और भुखमरी से जूझ रहा है| हर जगह आरक्षण फैला हुआ है|
सरकारी नौकरी के लिए भी हर जगह डिपार्टमेंट में शेड्यूल कास्ट( निम्न वर्ग) को पहली प्राथमिकता दी जाती है| भले ही वो लायक हो या नहीं, हर जगह उनको अपने कास्ट का फायदा मिलता है| अगर मध्य वर्ग को 60℅ प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है तो उनका 50℅ लाने से ही हो जाता है| सरकारी स्कूल, कालेज सब में यही हो रहा है|अंगुठा छाप लोग जिन्हें अग्रेंजी का एक वाक्य ठीक से लिखना नही आता वो सत्ता के बल पर पैसे खिलाकर टीचर और प्रोफेसर बन जाते है| और उच्च वेतन पाते है|
इसी आपाधापी में मरता है मध्यमवर्गीय इंसान, क्योंकि उच्चस्तर के लोगों के पास तो पैसों की, और ऐशो आराम की किसी चीज की कमी नही है और निम्न वर्ग को सरकार मदद कर देती है|
इसलिए कम वेतन की नौकरी, बेरोजगार की समस्या, अर्थ वयवस्था और कानून व्यवस्था से सही न्याय ना मिलने के कारण मध्य वर्ग परदेशी बनने पे मजबूर हो जाता है|
कोई अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरी करने के लिए विदेश जाता है ,कोई अपने शिक्षा में प्रगति के लिए जाता है कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए जाता है| किसी की बूढ़ी मां का ऑपरेशन करवाना है तो किसी को किडनी बदलवानी है, किसी के छोटे भाई के दिल में सुराख है तो किसी की पत्नी कैंसर से पीड़ित है| आखिर इन सब के इलाज के लिए पैसों की जरूरत तो पड़ती है इसलिए कुछ ना सुझने के कारण अपने परिवार को छोड़कर सात समुंदर पार जाकर परदेसी होना ही पड़ता है|
बढ़ती हुई महंगाई और कमाई में कोई बढ़ोतरी ना होना भी इंसान को अपनों से दूर करता है| आजकल पहले जैसा जमाना नहीं रहा कि बच्चे छोटी-छोटी प्राइवेट और सरकारी स्कूल, कालेज में पढ़ ले| घर में माता-पिता दोनों की यही इच्छा रहती है कि हम अपने बच्चों को अच्छी और बडी़ स्कूल, कॉलेज में तालिम दिलाए...ताकि जब बच्चे स्कूल कॉलेज से पढ़ लिख कर निकले तब उन्हें अपना स्कूल ,कॉलेज का नाम बताने में शर्म महसूस ना हो...
सब में आजकल एक दूसरे को देखकर प्रतिस्पर्धा, जलन की भावना बहुत तेजी से फैल रही है|
हर आदमी अपना स्टेटस बढाने के लिए आमदनी से ज्यादा खर्चा कर रहा है|उसके पास गाड़ी, बंगला है तो हमारी पास भी होना चाहिए, वो मल्टीप्लेक्स में सिनेमा देखते है तो हम छोटे सिनेमाघरों में सिनेमा क्यों देखे, वो ब्राडेंड कपड़े पहनते है तो हम सस्ते, लोकल, और नन ब्राडेंड कपड़े कयो पहने, वो पांच सितारा रेस्टोरेंट में खाना खाते है तो हम स्ट्रीट फूड या छोटी ओर सस्ती रेस्टोरेंट मे खाना क्यों खाए?? वगैरह वगैरह!जिसके कारण खर्चा वहन न करने के कारण बीबी, बच्चों की ख्वाहिशों को पूरी करने के लिए ज्यादा पैसे कमाने के लिए परदेश जाना पड़ता है|
भारत एक गरीब देश है| जंहा अर्थव्यवस्था और कानून वयवस्था भी सही नही है| काम कम है और काम करने वाले ज्यादा है और सबसे ज्यादा फैला हुआ है आरक्षण, जिसके कारण जो डिसर्व करता है उसको पोस्ट नही मिलती और जो डिसर्व नही करते वो सत्ता के बल पर ऊंचे ओहदे के पद पर आसीन हो जाते है इसलिए अपने सपनों को साकार करने और और खर्चो की आपूर्ति के लिए u. S. A और saudi arab में जाकर बस जाते है| यंहा के लहलहाते खेत और माता पिता का प्रेम भी उनके पैरों की बेड़ियाँ नही बन पाता |
अगर भारतीय को विदेश में जाने से रोकना है तो आरक्षण को हटाना होगा और सबको एक दृष्टि से देखना होगा .. भारतीय को परिवार नियोजन के बारे में सोचना होगा.... साथ ही साथ सपने सीमित दायरे में रहकर देखना होगा.... जितनी चद्दर है पैर उतने ही फैलाने होगे... तभी ये सम्भव है|
ये है मेरे विचार.... कैसे लगे आपको मेरे विचार कृपया कमेंट करके जरूर बताए.... और पंसद आए तो प्लीज लाइक और शेयर करना ना भूलें|
आपकी दोस्त
©® मनीषा भरतीया
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