नीता की शादी जिस घर में हुई थी वो लोग बहुत लालची थे यह बात नीता और उसके घर वालों को पहले समझ में नहीं आई उन्होंने तो बस लड़का देखा अच्छा लगा और कर दी नीता की शादी! नीता से शादी के पहले ही नरेश (नीता का पति )सारे घर का खर्चा उठाता था|, नीता के ससुराल में उसके (ससुर) बृजेश जी सुरेश उसका (देवर) और 2( ननद) अनीता और सुनीता जिसमें से बड़ी अनीता की शादी हो चुकी थी देवर जो कमाता वो सारा अपने ऊपर ही खर्च कर लेता था और उसके (ससुर) बृजेश जी जिनका अपना मोटर पार्ट्स का छोटा मोटा काम था जो कि ठीक- ठाक चल रहा था लेकिन वो घर में एक पैसा भी देना पाप समझते थे घर के खर्चे का सारा भार नरेश (नीता के पति) के कंधों पर था|, घर में कोई भी चीज लानी हो छोटे-मोटे फंक्शन हो हर चीज के लिए के घर वाले नरेश से ही पैसा एठतें|, लेकिन नरेश ने भी कभी उफ़ तक नहीं की क्योंकि वह सोचता कि यह मेरा परिवार है, और यहां सब मेरे अपने हैं|, इसलिए उसने अपने आने वाले कल के लिए भी कुछ भी नहीं संजोया |, पर जब से उसकी शादी हुई उसके भी खर्चे बढ़ गए क्योंकि बीवी को कभी घुमाने भी ले जाना पड़ता था|, उसके साज सिंगार का समान, शॉपिंग, वगैरा-वगैरा|, इसलिए उसने घर में खर्चा देना आधा कर दिया क्योंकि उसकी भी जिम्मेदारियां बढ़ गई थी |,पर जैसे ही उसने खर्चा आधा किया एक-एक करके परिवार के सभी सदस्यों की असलियत सामने आने लगी|, सब उसे बाध्य करने लगे की तुम्हें घर में पूरे पैसे देने पड़ेंगे| एक तो वैसे ही खर्च बढ़ गया है और ऊपर से तुमने आधे पैसे देने शुरू कर दिए|, तुम्हें तो उल्टा पैसे और बढ़ा कर देने चाहिए|, तब नरेश ने कहा पिताजी आप लोग यह क्यों नहीं समझते??,कि अब मेरी भी जिम्मेदारियां बढ़ गई है, लेकिन इनकम नहीं बढ़ी|, मैं अब पहले जितने पैसे घर में नहीं दे सकता|, और क्या इस घर में मैं अकेला ही खाता हूं?? छोटे का और आपका कोई फर्ज नहीं है क्या इस घर के प्रति?? मैंने तो कभी अपना पराया समझा ही नहीं|, लेकिन अब मैं इस हालत में नहीं हूं कि घर का पूरा खर्च दे सकूं |,तब बृजेश जी ने कहा कि अगर तुम घर का पूरा खर्च नहीं दे सकते तुम्हें इस घर को छोड़ना पड़ेगा|, ये आप क्या कह रहे है पिताजी ये घर भी मेरा ही लिया हुआ है??आप मुझे इस घर से जाने के लिए कह रहे हैं|, 1-1 पाई जोड़कर सलामी देकर मैंने इसे आपके नाम में करवाया क्योंकि आप घर के बड़े हैं हमारे पूजनीय है|, क्योंकि मुझे नहीं पता था कि आप एक दिन मुझे ही इस घर से निकाल देंगे |, बीमारी की वजह से मां चल बसी|,उस समय मैं15 साल का था | और 16 साल की उम्र में आपने मुझे काम में झोंक दिया यह कहकर कि मोटर पार्ट्स का काम तो मैं अकेले ही संभाल लूंगा तुम नौकरी कर लो लेकिन मैंने कभी ऊफ तक नहीं की, जितने भी पैसे मैं लाता सारे पैसे आपके हाथ में लाकर देता रहा और काम के साथ साथ ही पढ़ाई कंप्लीट की 20 साल की उम्र से तो पूरे घर का खर्चा मैं ही उठा रहा हूं बस जब तक मैं पूरा खर्चा उठाने के काबिल नहीं था तभी तक आपने घर पर पैसे दिए उसके बाद आपने घर में एक पैसा भी नहीं दिया |, जबकि छोटे ने तो अभी 22 साल की उम्र से काम करना शुरू किया और कभी एक पैसा भी घर में नहीं दिया |, इतना भेदभाव क्यों पिताजी ? ?, मुझे तो आपने हमेशा नोट छापने की मशीन ही समझा जहां आपको नोट कम मिले नहीं कि आपने मुझे घर से निकल जाने का फरमान जारी कर दिया |,मैं अभी कहां जाऊंगा नीता को लेकर आप ही बताइए? ?वो सब मैं नहीं जानता तुम एक महीने के अन्दर अपना इन्तजाम कर लो |, नरेश ने कोई जबाब नही दिया और अपने काम पे निकल गया |, अब एक महीना पूरा हो गया और नरेश ने घर नहीं छोड़ा तब बृजेश जी( नरेश के पिता) ने अपनी ज्याद्तियां शुरू कर दी |, पहले भी सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, रात का खाना,सबके कपड़े धोना सब नीता ही करती थी |, उसकी ननद किसी काम में हाथ नहीं बंटाती थी |, सिर्फ बर्तन, झाड़ू पोछा के लिए एक बाई रखी हुई थी |, बृजेश जी ने उसे भी छोड़ दिया |, सारा काम नीता के जिम्मे आ गया |इसी बीच शादी को 1 साल होने को आया और नीता प्रेगनेंट हो गई |, जिससे कारण नीता के अंदर हार्मोनल परिवर्तन भी हो रहे थे |,और शारीरिक कमजोरी भी बहुत महसूस होती थी |, क्योंकि उसे भूख भी इन दिनों कम लगती थी|, खाना देखकर उपकाई आती थी |, और ऊपर से सारे घर का काम |,इसलिए वो प्रेगनेंसी के 2 महीने के दौरान ही मुरझा सी गई |, अब और बर्दाश्त करना उसके लिए मुश्किल होता जा रहा था |, नरेश से भी अपनी पत्नी की हालत देखी नहीं जा रही थी|, उसे डर था कि वो अपनी पत्नी और होने वाले बच्चे को खो ना दें |, इसलिए उसने ना चाहते हुए भी घर छोड़ने का फैसला ले लिया |, लेकिन उसमें भी एक दिक्कत थी|, की अगर भाड़े का भी घर लिया जाए तो भी 50000 रूपया डिपॉजिट तो देना ही पड़ेगा|, तो नीता ने कहा की मेरे पास मेरे पीहर के गहने है, जो मुझे शादी में मिले थे |, कुछ गहने बेचकर डिपाजिट का इंतजाम हो जाएगा|, नरेश ने कहा की तुम्हारे पास यहां के मिले हुए गहने भी तो होंगे |,तो नीता ने कहा कि वो तो शादी वाली रात ही दीदी ने मुझसे ले लिए थे |, ये कहकर की तुम अभी बच्ची हो संभाल नहीं पाओगी|, मैं संभाल कर रख देती हूं , पीहर वाले गहने तो मेरी अटैची में थे इसलिए मांगने की हिम्मत नहीं पड़ी |, पहले मुझे भी पता नहीं था वरना मैं नहीं देती | नरेश ने कहा खैर छोड़ो जाने दो अब तुम अपने गहने मांगोगीं तब भी यह लोग नहीं देंगे |, बेकार बोलकर अपना मुंह गंदा करना है, छोड़ो सारा कुछ तो पिताजी और भाई- बहन खा चुके, ये भी खा लेने दो|, लेकिन तुम्हारे पीहर वाले गहने नहीं बिकेंगे |, वैसे भी तुम्हारे पास इन गहनों के अलावा कुछ नहीं हैं तुम चिंता मत करो मैं अपने बॉस से उधार ले लूंगा |, और धीरे-धीरे सैलरी में से कटवा लूंगा |, इस तरह सब कुछ सोच विचार कर नरेश और नीता सामान पैक कर के जाने लगे तब बृजेश जी ( नरेश के पिता) और उसके बहन -भाई ने कहा कभी-कभी आते रहना |, तो नरेश ने कहा कि यहां हमारा है ही कौन?? यहां मेरे पिता और भाई- बहन नहीं रहते | यहां तो पैसों की पुजारी रहते हैं, जिनका रिश्ता मुझसे नहीं कागज के नोटों से हैं, अगर रिश्ता कागज के नोटों से ही बनता है तो बहुत रिश्तेदार मिल जाएंगे फिर आप लोगों की क्या जरूरत है? ?
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🙏🙏 पढ़ने के लिए धन्यवाद
स्वरचित व मालिक
@ मनीषा भरतीया
आपकी सखी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well penned. Waise to pariwar hi sab kuchh hota hai, aur pariwar ki jimmedari kisi ek ki jagah sab par barabar hi honi chahiye. Jab pariwar mein aise members hon to bahut dukh hota hai.
Bilkul sahi kaha soni ji aapne Many many thanks ❤🙏
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