राजेश आपको तो पता है ना इस साल हमारा बेटा क्लास फाइव में जाने वाला है।, मैं सोचती हूं कि अब वक्त आ गया है कि हम भी उसे किसी बढ़िया अंग्रेजी मीडियम स्कूल में डाल दें।," क्योंकि जैसे जैसे और बड़ा होगा, उसके दाखिले में मुश्किलें बढ़ जाएगी। ,अभी छोटे स्कूल से पढ़ने से उसे आगे चलकर बहुत दिक्कत आएगी।, वह कहीं भी नौकरी के लिए अप्लाई करेगा, तो पहला इंप्रेशन ही खराब पड़ जाएगा।, आप तो जानते ही है,की आजकल दिखावे का जमाना है।, सर्टिफिकेट देखते ही पहले ही उसका एप्लीकेशन रिजेक्ट कर देंगे। क्योंकि वह छोटी स्कूल से पढ़ा हुआ है, भले ही वह बुद्धि में क्यु न दक्ष हो, बड़ी स्कूलों से पढ़े हुए बच्चों के मुकाबले में।, बस इसी कारण से मैं नितेश को लेकर थोड़ी परेशान हूं।, लेकिन उसका एडमिशन करवाऊं भी तो कैसे? आपकी तनख्वाह तो सिर्फ ₹30000 महीना है। , और मैं अगर पैर बाहर निकाल भी दू अपने बेटे के भविष्य को संवारने के लिए तो वह भी संभव नहीं क्योंकि माजी बिस्तर पर है।, तो उनकी देख- रेख के लिए हर वक्त एक आदमी घर पर होना चाहिए ।और बड़ी स्कूल में भर्ती करवाने का मतलब, फीस ,और गाड़ी भाड़ा लेकर ₹10000 महीना पड़ेगा। ," मेरी आज ही दीदी से बात हुई है,दीदी अपने बेटे का किसी बड़ी स्कूल में एडमिशन करवा कर आई है।,"उन्होंने मुझे बताया कि टीना आज तेरे भांजे का एडमिशन कराने गई थी। ₹100000 एडमिशन चार्ज, और ₹10000 महीना खर्चा पड़ेगा। , फीस और गाड़ी भाड़ा लेकर। ,और यह भी बताया कि जब उन्होंने विरोध किया तो स्कूल वालों ने कैसे उन्हें लंबै चौड़े भाषण दिए। " हमारा स्कूल ,स्कूल नहीं विद्या का मंदिर है। हम आपके पैसों का बिल्कुल सही उपयोग करते हैं। बच्चों को एक ऐसा माहौल और वातावरण देते हैं जिससे उनका मन और मस्तिष्क दोनों का विकास हो सके, बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य की नींव रखते हैं,हमारा सारा ध्यान बच्चों के उज्जवल भविष्य पर ही केंद्रित रहता है।, हम बच्चों में संस्कार के साथ-साथ, चुनौतियों को पूरा करने का जश्बा भरते हैं। , उच्च कोटि के बेहतरीन शिक्षक प्रदान करते हैं, ताकि उनकी शिक्षा में कोई कमी ना रहे।, क्योंकि हमारा यही मानना है, कि आज के बच्चे कल का भविष्य है। , इतना ही नहीं बच्चों को बड़ा प्लेग्राउंड प्रदान करते है, ताकि वो खेलकूद में भी आगे बढ़ सके।,
राजेश अब आप ही बताओ कि क्या किया जाए?
- इन प्राइवेट स्कूल वालों ने तो बहुत ही लूट मचा रखी है। इस तरह तो मीडियम परिवार वाले अपने बच्चों को बड़ी स्कूल में कभी नहीं पढ़ा पाएंगे। इतना ही नही बड़ी स्कूलों को देखकर छोटी स्कूल वालों ने भी बड़े-बड़े मुंह खोलने शुरू कर दिये है । ट्यूशन टीचर्स ने भी अपने रेट बहुत बढ़ा दिये है।, 10 ,15000कमाने वालो का तो छोटी स्कूलों में भी पढ़ाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि स्कूल वाले एडमिशन के समय जो चार्ज लेते हैं वही रीएडमिशन में भी लेते हैं। , और 15 00 से ₹2000 महीने की फीस, तो बच्चे की फीस दे उसे पढ़ाये या या घर का राशन चलाएं, क्या करें?
- रीता इसका कोई हल नहीं है जब तक धन से संपन्न लोग इनका मुंह भरते रहेंगे, और सरकार कोई प्रतिबंध नहीं लगाएगी, इन प्राइवेट स्कूलों का शिक्षा के नाम पर व्यापार यूं ही चलता रहेगा।
- अगर धन से संपन्न लोग अपने स्टेटस को ना देख कर , समाज के हर आदमी इस बारे में सोचें, तो ही कुछ हो सकता है। ,
- तुम्हारे या मेरे अकेले के करने से कुछ नहीं होगा।," इसलिए सपने देखना बंद करो,! और रही बात पढ़ाई की तो पढ़ाई स्कूल छोटी हो या बड़ी सब में एक जैसी होती है। " यह तो बच्चे पर निर्भर करता है कि वह कितना ज्ञान अर्जित करता है और कितना नहीं। तुम कल नितेश के स्कूल जाना जिसमें वह पढ़ रहा है ।,
- उसी में उसका एडमिशन करवा देना।
दोस्तों यह कहानी नहीं हकीकत है। हमारे समाज में बदलाव की जरूरत है।, गरीबी के कारण हमारे देश में बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं, क्योंकि उनके माता पिता के पास स्कूलों की फीस भरने के लिए पैसे नहीं है।
सरकार को ,समाज को, हम सबको मिलकर इस विषय पर एक कड़ा कदम उठाना चाहिए। ," जिससे कि हर बच्चे को पर्याप्त शिक्षा मिल सके, कोई भी बच्चा अशिक्षित या अनपढ़ ना रहे।
" पढेंगा देश तभी तो बढ़ेगा देश"
आशा करती हूं कि आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी। अगर अच्छी लगी हो तो मेरी स्टोरी को आप लाइक और मुझे फॉलो कर सकते हैं।
"और हांअगर आप भी मेरी बात से सहमत हैं तो अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर दें।
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आपकी अपनी
@मनीषा भरतीया
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
संदेशप्रद
Thank u sandeepji
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