शांति देवी शांति निवास में अपने पति सुमित जी, बेटा संजय और बहु संगीता के साथ रहती थी| उनकी एक बेटी भी थी सोनम जिसकी शादी संजय की शादी से 2 साल पहले ही हुई थी|
"वैसे तो शांति देवी अपनी बेटी और बहू में कोई फर्क नहीं करती थी और ना ही अपनी बहू को किसी प्रकार का कोई दुख देती थी| लेकिन जब बात प्यार और दुलार की आती तो उनका नजरिया बेटी और बहू के लिए बिल्कुल विपरीत था|
जब भी वह अपनी बेटी सोनम को बुलाने के लिए उसके ससुराल में फोन करती...... संजोग बस अगर उसकी ननद आई होती तो सोनम कहती मां अच्छा नहीं लगता आज मेरी ननद आई है ....मैं कल आ जाऊंगी अगर मैं ही नहीं रहूंगी...,..घर पर तो उनकी आवभगत कोन करेगा??? "मम्मी जी इस उम्र में काम थोड़ी करेगी ....आप ही बताइए....... क्या यह अच्छा लगेगा? ??
" तो वह कहती ज्यादा मत सोच चुपचाप आ जा! "मुझे तुझे मिलने के लिए दिल बेचैन हो रहा हैं,...."तेरी ननद के लिए अच्छी ऑनलाइन डिशेज आर्डर कर देना |
पर वही जब बहू संगीता के मायके वाले फोन करते कि आज संगीता को भेज दीजिए......"उसकी मम्मी की तबीयत बहुत खराब हैं,....,. उससे मिलने के लिए उनका दिल बहुत बेचैन हो रहा हैं...... तो कहती कि ऐसे कैसे आज भेज दूं ..,.."आज तो उसकी ननद आई है उसकी आवभगत नहीं करेगी क्या??? कल भेज दूंगी |
इतना ही नहीं जब भी संगीता पिक्चर देखने जाती तो वो कहती कि मम्मी जी मैं खाना बना कर चली जाऊं...... " क्योंकि पिक्चर देख कर आते आते बहुत देर हो जाएगी तो वो कहती बहू दो आदमियों का ही तो खाना हैं....कितनी देर लगती हैं..,..."खाना बनाने में....... " तुम दोनों तो वैसे भी खाकर ही आओगे |
अब तुम हमें चार-पांच घंटे पहले बनाया हुआ खाना खिलाओगी क्या???
जब वो कहती की आपके लिए और पापा जी के लिए पार्सल ले आते हैं...."तो कहती कि नहीं बहू हमें बाहर का खाना पसंद नहीं है.."तुम्हें तो पता हैं,........ " जबकि हमेशा पिज़्ज़ा और बर्गर मंगवा कर खाती रहती . ....."जब उनका दिल करता |
दूसरी तरफ अपनी बेटी को हमेशा गलत शिक्षा देती....." कि तुम जब भी जमाई बाबू के साथ बाहर जाओ या पिक्चर देखने जाओ....... तो खाना बना कर जाओ या यहां आ जाया करो!
" तुम्हारी भाभी तुम्हारे सास- ससुर के लिए खाना बनाकर दे देगी |
रात को 11:00 बजे जाकर तुम थोड़ी खाना बनाओगी |
तो वो कहती की मां यह ठीक नहीं आप अपनी बहू से तो रात 11:00 बजे खाना बनवाते हो और बेटी को सलाह देते हो कि मायके में आकर भाभी को तंग करो!
" .....वह अपनी मां ( शांति जी) को हमेशा समझाती की मां भाभी के प्रति आपका यह नजरिया ठीक नहीं हैं,.... " भाभी भी तो किसी की बेटी हैं........
" आपको उन्हें अपनी बेटी की तरह मानना चाहिए | " वह तो हमेशा आपको अपनी मां ही समझती है...."उसने कभी अपनी मां और आपमें कोई फर्क नहीं किया.......
" मैंने हमेशा पापा के मुंह से सुना है और एक दो बार खुद भी देखा हैं,..... " जब आपको बहुत तेज बुखार हुआ था......" तो उन्होंने रात- रात भर जागकर ठंडे पानी की पट्टी की थी |
" आपको याद हैं....."एक बार तो आप सीढ़ियों से गिर गई थी..... " आपके पैरों में बहुत चोट आई थी......"यहां तक कि आप चल फिर भी नहीं पा रही थी |" ऐसे में आपको बाथरूम ले जाना, नहलाना और आपके रोजमर्रा के हर छोटे- बडे़ काम में आपकी मदद की थी..... उस समय मैं नहीं आ पाई थी.....आपकी मदद करने |
" जो आप आज भाभी के साथ कर रही हैं,..... वही अगर मेरे ससुराल वाले मेरे साथ करे तो आपको कैसा लगेगा..... जबाब दीजिये???
" बुरा लगेगा ना...... " तो सोचिये जरा ठण्डे दिमाग से की भाभी के मायके वालो कितना बुरा लगता होगा और भाभी को भी...... वो कहती नही इसका मतलब ये नहीं की बुरा नही लगता |
खैर मेरा काम आपको समझाना था..... समझना या ना समझना वो आपकी मर्जी |
लेकिन हां एक बात ध्यान से सुन लीजिये..... कि अगर आपको मुझे गलत शिक्षा देनी हो तो मुझे फोन मत कीजिएगा...... "क्योंकि मैं नही चाहती की आपकी गलत सोच का असर मेरे सुखी संसार पर पडे़ |
सोनम की बातों ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह कितनी गलत थी | " कि जिस बेटी के लिए वो ये सब कर रही थी...... वो तो उनसे दूर होती नजर आ रही थी|
" इसलिए उस दिन के बाद से उन्होंने बेटी और बहू के बीच के फर्क़ को ही हटा दिया | ...... और बहू संगीता को पूरी तरह से सच्चे मन से अपनी बेटी बना लिया |
सोनम ने अपनी मां ( शांति देवी) के बदले हुये रूप को देखकर गले से लगा लिया |
दोस्तों कभी-2 अगर बड़े भी गलती करे तो छोटों को उन्हें सही रास्ते पे लाने के लिए न चाहते हूये भी कड़ा होना पड़ता हैं |
आपको क्या लगता है? सोनम ने अपनी माँ को समझाने के लिए जो रास्ता अपनाया क्या वो गलत था??? प्लीज अपनी राय मेरे साथ सा़झा करें, कमेंट बॉक्स में कमेंट करके|
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धन्यवाद,
@मनीषा भरतीया
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