Manisha Bhartia
Manisha Bhartia 27 Jun, 2020
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आंखों में कई सपने दम तोड़ रहे हैं। जाने कब मंजिल मिलेगी यही सोच रहे हैं। ना जाने कब चर्चे होंगे मेरे भी हजारों की तादाद में लोग होगे आसपास मेरे भी कब मेरे अपने भी गर्व महसूस करेंगे मुझ पर भी क्या इसी ख्वाब में मेरे प्राण पखेरू हो जाएंगे?

Paperwiff

by manishalqmxd

27 Jun, 2020

Dream

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