*_~~~~~ | खामोशी बातों में | ~~~~~_*
अक्सर मेरी खामोशी यह बातें किया करती है ...
यहाँ कौन है तेरा अपना जिसके लिए तू जिया करती है ...
तेरी खामोशियों का सदा ही अपनो ने फायदा उठाया है ...
हर समय तेरे साथ गलत करके तुझे नीचा दिखाया है ...
अब यह खामोशी तुझे तोड़नी होगी , मन की बातें बोलनी होगी ...
बहुत सह ली अपनो की बेरुखी , अब स्वंय की पहचान स्वंय को ही बनानी होगी ...
बहुत सह लिया है अब नही सहना अपनो से बस इतना है कहना ...
सफलता के शिखर को छूना है , बस आजाद पंछी की तरह उड़ना है ...
*_मौलिक एवं स्वरचित_*
*_ममता गुप्ता ✍🏻_*
*_अलवर , राजस्थान_*
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice and inspiring. Glad to meet someone from Alwar.
Thnks
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