********कही -अनकही बातें******
मैं आज अनकहे भाव लिखूं,इन दिनों जो महसूस किया मैंने
अपनों के दोगलेपन व्यवहार की,वही एक बात में आज लिखूं।।
क्यों!!एक परिवार को इतनी आजादी।
दूसरे परिवार को क्यों हैं पहनावें पर पाबन्दी।।
क्यों गांव में रहने वालों को हर वक्त पर्दा डालकर रहना पड़ता हैं।
शहर में रहने वालों को हर तरह की आजादी से जीने दिया जाता हैं।।
क्यों हर वक्त हमे ही इज्जत का पाठ पढ़ाया जाता हैं,परिवार के मान सम्मान की ज़िम्मेदारी से बार बार अवगत कराया जाता है।
शहर में रहने वालों से क्यों कोई कुछ नही कहता ,
पहनावे का ताना उन्हें क्यों कोई नही देता है।।
आखिर क्यों दोगलेपन सा व्यवहार किया जाता हैं
क्यों रूढ़िवादी परम्परा से हम पर वार किया जाता है।।
परिवार की इज्जत की जिम्मेदारी तो सभी की बनती हैं
गाँव मे रहे या शहर में फिर बात गरीब की ही क्यों बनती हैं।
"बस एक बात आज कहना चाहती हूँ'
हम कौनसी आजादी मांगते है,हम बस आप से यही चाहते है।रखो सभी मे समानता का भाव,क्यों करते हो अपनों से ही भेदभाव
बस आज मैने लिखें हैं अपने अनकहे भाव।
आशा करती हूँ,अब नही होगा कोई भी भेदभाव!!
ममता गुप्ता
अलवर राजस्थान
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