Maa..

For the one whom we often forget..

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Malvika Singh Gaur
Malvika Singh Gaur 19 Dec, 2020 | 0 mins read
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आज लिखने बैठी तो ख़्याल आया कि कुछ ऐसा लिखूँ जो दिल के करीब हो, फिर याद आया सबसे ज़्यादा करीब तो माँ हैं।

बिते वक्त को याद करती हूँ, तो लगता है वो सारे वक्त की यादें मिटा दूँ जब आपसे नाराज़ होकर कुछ बुरा कह दिया करती थी,

जब भी अपनी मनमानी करती और आपको नाराज़ करती थी।

एक वक्त था जब आपकी कुछ बातें मेरी समझ के बाहर थी।

जब सब स्वार्थी और आप सिर्फ दूसरों का सोचती थी, तब लगता था कि हमसे बढ़कर कोई कैसे हो सकता है लेकिन आपकी तो हर करनी हमारे ही लिऐ थी। ख़ुद के बारे में तो सभी सोचते हैं लेकिन सुकुन में वहीं होते हैं जो अपने हिस्से से दूसरों को देते हैं।

जितना भी होता है आजकल लोगों के पास, कम ही होता है लेकिन उस कम से निकालकर देने वालों का खुदा भी होता है।

इच्छा रखो पर लालच नहीं, सिखाया हमेशा जिसने, अपनों को लेकर आगे बढ़ो साथ करके दिखाया उसने।

आज भी जो फोन पर देती ‘गीता’ का ज्ञान, ऐसी माँ हर जन्म माँगू़ मैं आपसे भगवान!

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Malvika Singh Gaur

malvikasinghgaur

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Mithun kumar Muddan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Very neatly expressed in the form of words..

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