"दुर्गापूजा"
दुर्गा पूजा एक ऐसा त्यौहार है जिसके आते ही बच्चों में उत्साह और उमंग उठने लगते हैं।आखिर हो भी क्यों ना क्योंकि मेला घूमने जाने को मिलता है।
मेला के चटपटे पकवान और खिलौने तो बच्चों के प्रिय होते हैं।इन सब बच्चों में छोटी लड़कियों के लिए यह त्यौहार तो और भी प्रिय होता है क्योंकि वह सुंदर सुंदर वस्त्र पहन माता रानी का रूप बनकर कन्या भोज में जो जाती हैं। बहुत ही अनूठा रूप लगता है कन्याओं का और उन्हें जो प्यारे-प्यारे उपहार मिलते हैं वह उनको बहुत ही ज्यादा प्रिय लगते हैं।
पर इस साल दुर्गा पूजा का त्यौहार आते ही नन्ही सिया उदास हो गई और अपनी आंखों में मोती जैसे आंसू निकाल निकाल कर मां से कहने लगी
" मां! क्या हम मेला देखने नहीं जाएंगे? क्या मैं कन्या भोज में नहीं जाऊंगी??"
नन्ही सीया कि इन बातों को सुनकर मां भी विचलित सी हो गई। मां सोचने लगी "हे माता रानी यह कैसी महामारी आ गई है? छोटे बच्चों की खुशी छिन चुकी है, इस साल महामारी के कारण ना ही मेला लगा है और ना ही कन्या भोज का आयोजन हो रहा है।"
मां ने प्यार से सिया बेटी के सर पर हाथ फेरते हुए समझाया
"बेटी! माता रानी 'दुर्गा माता' की पूजा तो हम घर में करते ही हैं और हम दुर्गा माता से प्रार्थना करेंगे कि अगले साल तक यह महामारी दूर हो जाए। हम सब अगले साल मेला देखने अवश्य चलेंगे और तुम कन्या भोज में भी जाओगी। पर इस साल मैं घर में ही तुम्हारे लिए अच्छे पकवान बनाऊंगी और तुम तो मेरे लिए मेरी देवी समान ही हो... तुम्हारा कन्या पूजन करूंगी और तुम्हें तुम्हारे पसंदीदा उपहार भी दूंगी "
मां ने हंसते हुए कहा।
सिया की खुशी अब आँखों से छलक रही थी। वह माँ से लिपट गई।
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