जानवरों के प्रति प्रेम

जानवरों के प्रति प्रेम

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Madhu Tiwari
Madhu Tiwari 18 Oct, 2020 | 1 min read

" अरे ओ रमा!" 

रमेश जी ने चिल्लाते हुए घर में प्रवेश किया। 

उनकी आवाज को सुन रसोई में काम कर रही रमा दौड़ते हुए तेजी से आई, रमेश जी ने कहा 

" घर के सामने वाले बगीचे में एक कुत्ते का बच्चा ऐसे पड़ा हुआ है.. मानो मर गया हो!! ना हिलता है, ना बोलता है, ना आंखें खोल रहा है, समझ में ना आ रहा है क्या करूं?? कितने ही लोग आए गए पर किसी का ध्यान उस पर नहीं जा रहा है.. मानो लोग देख कर भी अंजान बने हुए हैं,, हमारे समाज के लोगों को क्या हो गया है? मूक जानवरों के प्रति सब की मोह माया खत्म हो चुकी है।"

 रमा ने महेश जी को समझाते हुए कहा

" लोगों का अपने रिश्तो के प्रति प्रेम खत्म होते जा रहा है तो जानवर क्या चीज है?, चलिए हम उस कुत्ते के बच्चे को उठाकर लाते हैं।"

रमेश जी और रमा बगीचे में जाते हैं और उस कुत्ते के बच्चे को उठाकर घर ले आते हैं। प्यार भरे स्पर्श और दो घुट दूध मुंह में जाते ही कुत्ता का बच्चा धीरे से आंखें खोलता है, यह देख महेश जी और रमा दोनों बहुत खुश होते हैं। महेश जी रमा से कहते हैं 

" अब से यह हमारे घर ही रहेगा और इसकी सेवा हम करेंगे।"

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