लिखना है तो लिखदो, जो है तेरे मन मे |
पड़नेवालों का कमी नहीं, अपने इस आंगन मे ||
मन की बाते मन मे रहे तो मन की चिंता बढ़ता है ;
मन की बाते कागज़ पर गिरे तो कविता कहकर पड़ते है |
चाहे ख़ुशी या चाहे ग़म हो दो चार बाते काफी है ;
पड़नेवाला मन से पड़े तो इससे अच्छा क्या तौफा है ||
कल हो ना हो कौन ये जाने आज मे हम तो जीते है ;
दिल मे प्यार, मन मे उमंगें लेकर घूमते फिरते है |
लेकर देकर सब मे मिलकर जीना अच्छा लगता है ;
प्यार भरे अंकों से देखो, सारे अपना लगता है ||
- मधु कोडानाड
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
This is amazing ... I'm very impressed that you are making efforts to come out of your comfort zone and write in some other language.. and this poem is very beautiful ❤️
Thanks a lot 😍
हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🙏
वाह, बहुत बढ़िया
Thank you Sonnu ji, Vineeta ji 🙏
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