जीवन छीन गए - कुमार आशू के गीत

नवगीत की परंपरा में एक वियोग श्रृंगार का गीत

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कुमार आशू
कुमार आशू 02 Sep, 2020 | 1 min read

नवगीत - कुमार आशू

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

आगत कल का सपन दिखाकर 

जीवन छीन गए..!!


सुख के चौराहों पर पाया

पीड़ाओं का ज्वार..

जहाँ आस थी नेहमिलन की

वहाँ मिली तकरार..

अब थे निपट अभागे सुख तज

दुःख ही बीन गए..!!


हँसी ठहाकों वाली रातें

हमने काटी रोकर..

मैं मुझमें कितना बच पाता

मुझमें तुमको खोकर..

तुम ही नही गयी संग में दिल

सुख रंग तीन गए..!!


तुम आओ तो सपन हमारे

फिर से हरे भरे हों,

हम भी नेह कसौटी पर कम

से कम तनिक खरे हो..

हाल हुआ तुम बिन ऐसे ज्यों

जल बिन मीन गए..!!

©&®

- कुमार आशू

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कुमार आशू

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