ताकत व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है, हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ ताकत होती है, फिल्मों में, किताबो में, कहानियों में, स्कूल में फिर कॉलेज में ताकत को लेकर बहुत कुछ पढ़ा, बहुत कुछ सुना, और हमेशा यही सोचती रही, की ताकत व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है तो मेरी ताकत क्या है? मुझ में ऐसा क्या है जो मेरी ताकत बने, मेरे व्यक्तित्व की पहचान बने|
यह सवाल मेरे लिए इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि जब आप शारीरिक रूप से ताकतवर होंगे, तभी तो आप अपने व्यक्तित्व की ताकत को पहचानेंगे, मैं बचपन से दिव्यांग हूं, एक पैर नहीं है मेरा, यही सबसे बड़ी कमजोरी है मेरी, जब शरीर में ताकत नहीं है, व्यक्तित्व की ताकत को कैसे पहचानू|
इस सवाल के जवाब तलाशते तलाशते मेरी शादी हो गई, अपनी ताकत को पहचानने का सबसे अच्छा समय निकल गया, एक औरत के लिए उसकी शादी, अच्छा परिवार, बच्चे और आरामदायक जीवन ही शायद उसकी ताकत होती है, यही सोच कर अपने सवाल पर धूल चढ़ा बैठी थी, या पैरों की वजह से ताकत पहचान नहीं पाई थी|
1 दिन पतिदेव ने अमरनाथ यात्रा का प्रोग्राम बनाया, रजिस्ट्रेशन के बाद हम गए, एक पैर नहीं है फिर भी चल लेती हूं, नकली पैरों से, अच्छा सफर था, पहुंचे यात्रा शुरू हुई, हम सब यात्रा पूरी कर पाते कि आतंकी हमला हो गया, पहले एक बम ब्लास्ट फिर 8, 10 आतंकियों ने हमारे जत्थे पर हमला कर दिया, जिन्हें जहां जगह मिली भागकर छुप गया, बहुत से लोग मारे गए, मैं भाग नहीं सकती थी, गोलियों की आवाज मेरे पास आ रही थी, डर के मारे कुछ समझ नहीं आया, मगर दिमाग ने साथ दिया, जल्दी से नकली पैर निकालकर फेंका और पास में पड़ी लाश के खून को अपने शरीर में लगाया, और ऐसे लेट गई जैसे विस्फोट से मेरा पैर उड़ गया है, मैं मर गई हूं, आतंकी आए मुझे औरों की तरह मरा समझ कर चले गए, 10 मिनट में मैंने उन आतंकियों की जो बात सुनी, नाम सुने, और उनका आगे का प्लान सुना, उनके जाने के बाद मैं उन लोगों को पकड़ने में सबसे बड़ी कारण बनी, मैंने उनका ठिकाना कहां है सुन लिया था|
बचपन के सवाल का अब जाकर जवाब मिला, मेरी ताकत मेरे व्यक्तित्व की पहचान मेरी दिव्यांगता थी, जिसे मैं सबसे बड़ी कमजोरी समझती थी, वही मेरी सबसे बड़ी ताकत है|
( लेखिका - कीर्ति सक्सेना)
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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत खूब
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