हम तीन सहेलियां थी, एक साथ स्कूल में पढ़ती थी, हम तीनों देखने में बचपन से सुंदर थी, और यही कारण हम अच्छी सहेलियां होकर भी एक प्रतिस्पर्धी थी, हम में कपड़ों को लेकर, बाल बनाने को लेकर, सजने सवरने को लेकर स्पर्धा चलती रहती थी, मगर निर्णय कौन दे, तीन सहेली और तीनों प्रतिस्पर्धी, फिर निर्णय कौन दे, गोरे रंग का ऐसा गुमान कि अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझना, किसी का रंग काला है तो उसकी बेइज्जती करने से भी नहीं चूकती हम, शांति नाम था उसका, आदिवासी समुदाय से, क्रिश्चियन धर्म को मानने वाली, काले काले बाल चपटी नाक और बालो जैसा ही काला रंग, हमारी दिनचर्या में शांति को छेड़ना भी शामिल था, उसको उसके रंग को लेकर कुछ ना कुछ बोलना हमारी आदत में था, मगर पता नहीं कौन सी मिट्टी की बनी थी, सुन कर हंस देती या खुद ही अपने पक्के रंग पर एक लतीफा सुना देती, काले रंग के फायदे सुना देती, मगर पढ़ने में बहुत तेज थी शांति, हम ठीक ही थी पढ़ने में, बस पास होना मकसद था, हम तो अपनी सुंदरता के घमंड में थी|
जैसे तैसे स्कूल खत्म हुआ, कॉलेज में भी हम तीनों साथ ही थे, रूटीन वहीं था, स्पर्धा आज भी जारी थी, यह कह ले अब और तेज हो गई थी, क्योंकि अब हम बड़ी हो रही थी, मगर शांति का पता नहीं कहां गई स्कूल के बाद, कभी मिली नहीं, कभी-कभी उसको हम याद कर लेती थी, जब कोई काली मोटी नाक वाली लड़की दिखती, खैर कॉलेज भी जैसे तैसे खत्म हुआ, अब हम शादीशुदा हैं, बच्चे हैं और इत्तेफाकन तीनों एक ही शहर में हैं, हमारे बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते हैं, प्रतिस्पर्धा आज भी जारी है, अब अपनी सुंदरता की नहीं बच्चों की सुंदरता पर पहुंच गई है, स्टेटस, लाइफ स्टाइल, रहन-सहन, बगैरा बगैरा चीजें भी शामिल हो गई है, मगर स्पर्धा आज भी जारी है|
लोक डॉन के बाद जैसे-तैसे ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई, बात फंसी स्कूल फीस की तो सभी अभिभावकों ने निर्णय लिया की स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव से मिलकर स्कूल फीस की शिकायत करेंगे, कि सिर्फ ट्यूशन फीस ली जाए, इसलिए हम तीनों भी पहुंच गई, अभिभावकों के साथ, सेक्रेटरी जो आईएएस ऑफिसर होता है से मिलने, मंत्रालय मैं काफी जद्दोजहद के बाद सचिव ने मिलने का समय दिया, हम सभी अभिभावक अंदर पहुंचे सचिव को देखकर हम तीनों की स्पर्धा समाप्त हो गई, आज हमारी स्पर्धा का निर्णय आया और शांति उसमें जीत गई, शांति एक आईएएस ऑफिसर थी, शांति ने हमारा बहुत स्वागत किया और हमारी समस्या खत्म की, आज हमारे मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था, बस हमारी आंखें शांति को देख रही थी, और कान शांति बस सुन रहे थे, उसका हर शब्द आज हमको पूछ रहा था कि बताओ "सबसे सुंदर कौन" है|
( लेखिका- कीर्ति सक्सेना)
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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
nice
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