बड़ी अजीब बात है, जिस देश में चपरासी की नौकरी के लिए भी 12वीं पास होना जरूरी है, उस देश में देश को चलाने वाले नेताओं को कोई योग्यता आवश्यक नहीं है, अपने बल, बुद्धि, पराक्रम और चतुराई से किसी भी पद के लिए शाम, दाम ,दंड-भेद नीति अपनाते हुए चुनाव जीता जा सकता है, अपनी चतुराई से वोटरों को लुभावने प्रलोभन देकर अपने प्रति वोट डालने के लिए मजबूर करना, और चुनाव जीतना, भारत जैसी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का प्रचलन बन गया है, यह सुनकर बड़ा अजीब लगता है, मगर यह सत्य है, इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने वाले नेताओं की कोई भी योग्यता का होना जरूरी नहीं है|
भारत एक संपूर्ण, प्रभुत्व, संपन्न, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य है, जहां जनता के द्वारा, जनता के लिए, जनता से ही, व्यक्तियों को चुनकर लोकसभा एवं विधानसभा में पहुंचाया जाता है, संपूर्ण, प्रभुत्व, लोकतंत्रात्मक, का मतलब होता है कि, जनता के द्वारा ही राज्य किया जाता है, जब जनता के द्वारा ही अपने देश के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव होता है, तो स्वाभाविक है, उस प्रतिनिधि में वह योग्यता होना आवश्यक है, जिस पद पर वह बैठा है,और उसके लिए आवश्यक है कि, भारतवर्ष मैं वोट करने के अधिकार को और अधिक सुदृढ़ बनाया जाए, जिसमें ईवीएम मशीन पहला कदम है, घोषणा पत्र में की गई घोषणाओं के बदले घोषणा पत्र में प्रतिनिधि का पूरा बायोडाटा होना चाहिए, कि वह कितना पढ़ा लिखा है, उसने अब तक समाज के लिए कितने अच्छे कार्य किए हैं, उसके ऊपर कोई आपराधिक मुकदमा ना हो, उसकी आर्थिक स्थिति कैसी है आदि, घोषणा पत्र में ऐसी कोई बात नहीं होना चाहिए जिससे वोटर को वोट डालते वक्त उससे मन में लालच पैदा हो, उसे यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह जितने प्रतिनिधि चुनाव में खड़े हैं, उनकी योग्यता को समझ सके, पढ़ सके, देख सके और अपनी समझ से वोट कर सके, चुनाव प्रचार में खर्च करने की परंपरा को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, न्यूज़ पेपर एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रतिनिधि की सारी जानकारी जनता तक पहुंचाया जाना चाहिए, जिससे अनावश्यक खर्च पर भी लगाम लगेगा एवं जनता पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा, क्योंकि चुनाव में किया गया खर्च जनता के पैसे से ही किया जाता है, उन पैसों को जनता की भलाई में लगाया जाना चाहिए, जनता को यह अधिकार दिया जाना चाहिए वह अपने प्रतिनिधि जो उसके क्षेत्र से खड़े हुए हैं उसकी योग्यता एवं उसके द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर स्वेच्छा से वोट कर उसे चुने, ना की घोषणा पत्र में लुभावने प्रलोभन को देखकर, वोट करने के अधिकार को अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिसमें 18 वर्ष पूर्ण कर चुके युवाओं से लेकर जो भी व्यक्ति शासकीय सुविधाओं का पूर्ण लाभ लेते हैं, उन्हें वोट देना अनिवार्य होना चाहिए, जिससे चापलूसी करके चुनाव जीतने की परंपरा समाप्त हो सके और एक अच्छा प्रतिनिधि समाज को मिले|
भारतवर्ष एक बहुत बड़ा देश है, यहां पर जब किसी भी शासकीय नौकरी के लिए मिनिमम योग्यता रखी गई है, तो देश चलाने वाले प्रतिनिधियों के लिए भी एक निश्चित योग्यता का होना आवश्यक किया जाना चाहिए, जिससे राजनीति में गुंडागर्दी, दहशतगर्दी जैसी बातें समाप्त हो, और एक पढ़ा-लिखा समाज बने, एवं जनता को भी अपने प्रतिनिधि चुनने मैं सहायता प्राप्त हो, भारतवर्ष में वोट करने की प्रणाली सुचारू रूप से सही तरीके से हो, इसमें सरकार के साथ-साथ जनता को भी सहयोग करना आवश्यक है, आवश्यकता है जनता अपने अधिकारों को समझें, और एक अच्छी सरकार बनाने के लिए अपने मतों का सही इस्तेमाल कर एक अच्छी सरकार का गठन करें
( लेखिका - कीर्ति सक्सेना )
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह क्या बात है
Good thoughts
bahut badiya
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