लघुकथा
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ऑक्सीजन
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"मेम साब, आपका जूस।" सैर और जिम के बाद लौटने पर सुगना ने उसे जूस का गिलास पकड़ाते हुए कहा।
"अरे वाह सुगना, आजकल तो तू भी मॉर्निंग वॉक पर जाती है। सुबह देखा था तुम्हें पार्क में।"
"आप तो जानत हो मेमसाब, हमारी झुग्गी झोपड़ी में तो हवा का नामोनिशान तक नहीं आता है। चारों और घुटन और बदबू।"
"कह तो ठीक रही हो।"
"तो बिटिया जब से सकूल में छठी कलास में चढ़ी है तो वहीं पढ़ कर आई है।"
"तब से पीछे पड़ी रहती है। "
"कहती है,सवच्छ हवा और वो क्या कहते है.."
"ऑक्सीजन"
"हां हां वही, सेहत के लिए बहुत जरूरी है ।"
"तो ऑक्सीजन लेने पार्क जाती हो। बहुत खूब।"
"सुबह सबेरे उठा कर भेज देती है, कहती है,मां सुबह हो रही है, उठो,जागो, बाहर जरा रौशनी, ताजी हवा और वो क्या कहते हैं, में जरा सांस लेकर आओ।"
"कहती तो तुम्हारी बिटिया ठीक ही है । ये ले गिलास ले जा। "
"और सुन, कल रात की सब्जी और रोटियां पड़ी है जाते समय ले जाना।"
" नहीं मेमसाब, बिटिया खाने नहीं देगी। सेहत के लिए नुकसान जो करती है।"
Comments
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Nice story
बढिया
nice
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