नारी का शिवत्व

समाज के अवांछित बंधनों को तोड़कर नए सिरे से अपनी आजादी के साथ जीने की कल्पना

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Kamini sajal soni
Kamini sajal soni 09 Jun, 2020 | 1 min read

नारी तेरा जीवन ही

एक अजब पहेली है


सारे अत्याचार चुप रहकर सहे

अगर कोई छेड़े तो खामोश रहे

मगर भूल कर भी उसका नाम ना लो

जमाने को उसकी हकीकत मत बताओ

अपमान का जहर पीकर

शिवत्व को प्राप्त करो

सारे बंधनों की जंजीरों में रहकर

तुम घर की दहलीज के अंदर ही

एक लक्ष्मण रेखा खींचकर

समाज की विषाक्त सोच के साथ

घुट-घुट कर यूं ही जीवन व्यतीत करो

तभी शांति का वास हो घर में

तभी इज्जत बनी रहे समाज में

काश!! अगर जिंदगी दूसरा मौका दे

तो शायद अब सब इन बातों को

उल्टा करके नए सिरे से

नई परिभाषाओं के साथ

नई उमंगों की उड़ान भरकर

नए सिरे से अरमानों के धागे बुनकर

रिश्तों में नए रंग भरकर

आजादी के उन्मुक्त गगन में

सतरंगी सपने संजोए हुए

एक बार जरूर जी कर देखूं

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Kamini sajal soni

kaminisajal

Comments

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  • Kumar Sandeep · 5 years ago last edited 5 years ago

    उत्कृष्ट सृजन

  • Kamini sajal soni · 5 years ago last edited 5 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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