नारी तेरा जीवन ही
एक अजब पहेली है
सारे अत्याचार चुप रहकर सहे
अगर कोई छेड़े तो खामोश रहे
मगर भूल कर भी उसका नाम ना लो
जमाने को उसकी हकीकत मत बताओ
अपमान का जहर पीकर
शिवत्व को प्राप्त करो
सारे बंधनों की जंजीरों में रहकर
तुम घर की दहलीज के अंदर ही
एक लक्ष्मण रेखा खींचकर
समाज की विषाक्त सोच के साथ
घुट-घुट कर यूं ही जीवन व्यतीत करो
तभी शांति का वास हो घर में
तभी इज्जत बनी रहे समाज में
काश!! अगर जिंदगी दूसरा मौका दे
तो शायद अब सब इन बातों को
उल्टा करके नए सिरे से
नई परिभाषाओं के साथ
नई उमंगों की उड़ान भरकर
नए सिरे से अरमानों के धागे बुनकर
रिश्तों में नए रंग भरकर
आजादी के उन्मुक्त गगन में
सतरंगी सपने संजोए हुए
एक बार जरूर जी कर देखूं
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
उत्कृष्ट सृजन
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Please Login or Create a free account to comment.