Jyotsana Singh
Jyotsana Singh 20 Jul, 2021
कर्म भूमि
सुनहरी आभा वाली राधिका के मुख पर कान्हा की तिरछी चितवन पड़ते ही,आषाढ़ भीग गया। मानिनी राधा भी चिहुक उठी।छलिया मोह के खुद ठगे रह गए।अब कर्मभूमि के लिए जाना था। किताब रख उसने बाहर देखा बारिस तेज थी। पर उसे जाना था। वह असहाय बुजुर्गों की नर्स थी। ज्योत्सना सिंह

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by jyotsanasingh

20 Jul, 2021

कर्म भूमि

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