Jyotsana Singh
Jyotsana Singh 30 Jul, 2021
परवरिश
सूनी गोद भरते ही,तुम्हारी आँखें सावन-भादों की तरह वर्षों बरसी थीं।कहा था न,मैंने तुमसे अपनी परवरिश पर भरोसा रखो। देखो,शिक्षा की सीढ़ी चढ़ आज वह आसमान पर इंद्रधनुष सी सातों रंग बिखेर रही है।क्या हुआ जो वह स्त्री या पुरुष रूप में न जन्मी कुछ अलग है।

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by jyotsanasingh

30 Jul, 2021

परवरिश

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Priyanshi Dixit · 3 years ago last edited 3 years ago

    Very nice

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत खूब

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