अधूरी दास्तां

इक दास्तां जो पूरी तो होना चाहती है पर पूरी हो नहीं पाई।

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Jyoti agrawal
Jyoti agrawal 02 Jun, 2020 | 1 min read

वो एक दास्ताँ जो पूरा होना चाहती थी,

ना जाने क्यूँ कश्मकश में फंस गई।


वो एक दास्ताँ जो जिन्दा रहना चाहती थी,

ना जाने क्यूँ कुछ गलतफहमियों के तले दब गई।


वो एक दास्ताँ जो खुशियों का जरिया बनना चाहती थी,

ना जाने क्यूँ गमो के पीछे कही छिप गयी।


वो एक दास्ताँ जो जीने का अहसास दिलाती थी,

ना जाने क्यूँ हर घडी तिल-तिल कर मारने लगी।


वो एक दास्ताँ जो रहनुमा सी हुआ करती थी,

ना जाने क्यू रूसवा और खफा सी हो गयी।


वो एक दास्ताँ जो हम साथ में बुन रहे थे,

ना जाने क्यूँ अधूरी ही छूट गयी।।


ज्योति अग्रवाल


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Jyoti agrawal

jyotiagrawal_m

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    💐💐👌👌

  • Jyoti agrawal · 4 years ago last edited 4 years ago

    Sukriya

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