यह दरख्वास्त है मेरी तुझसे ओ परवरदिगार
रखदे हाथ सिर पर तू हमारे
जिंदगी आसान चल रही है माना ,
पर कुछ राहगीरों की मुश्किल मिटा दे।
कुछ पर इल्जाम लगा है अहसानफरामोशी का
कुछ अहसान के नीचे दबते जा रहे
अब तो बता इंसान चुने कौनसा रास्ता ।
बन अब्र वो अब सामने गरजने को तैयार है
अब दे संकेत ऐसे की बदल जाए उनका कारवां।
ज्योति अग्रवाल
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ईश्वर प्रार्थना स्वीकार करें आपकी
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