आज मेरे मण में एक बात आईं कि पापा मोसू काई मारे शांत अर्जुन शांत अर्जुन कहवे जब मोए बहुत तेज गुस्सा आ री होए । कई बार देखी मैंने या चीज की जब भी में गुस्सा करू हूं, जबी वो मोसु कहवे की शांत अर्जुन शांत जबकि जब भी भाई गस्सो करे तब तो ना कहवे । काई चक्कर है इसो, तो फिर या बात पे मैंने एक दिन पापा से पूछी की पापा आप मोसू शांत अर्जुन शांत अर्जुन कहो भाई न सु काई कु ना कहो ।
फिर पापा थोड़ा सा हसा और कहवा लगा कि पांच पांडवन में अर्जुन तेज स्वभाव को हो वा कु गुस्सो सब सु तेज और जल्दी आए करो हो ।
तो मैं बोली पापा या मतलब की सबनसू तेज गुस्सा मेरो है पर भाई भी करे गुस्सा मम्मी भी करे तो उंसू भी कहे करो।
फिर पापा हसवा लगगा
और कछु ना बोला
तो मेरे मण में या संशय रह गो की आखिर मेरा गुस्सा में इसो काई है , मैंने सोची खूब सोची पुरानी बात याद करी तो मोए समझ आयी की घर में कोई भी लड़ रो होए अचानक सु गुस्सा मोए ही आवे या मारे पापा मोकु इसे शांत करे ।
अब पापा मोए कभी लड़े तो ह नाए तो या तरीको सही हैं और सबसू बड़ी बात मेरे गुस्सा शांत भी हो जावे।
( जब आप कोई सु सीधे सीधे कोई बात ना कह सको तो वाको सबसू बढ़िया तरीका है कि आप वा इंसान है कोई चरित्र में ढाल के समझादो वा कु समझ आ जाएगी)
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