कैसे भुला दूं?
मेरी नज़रो की तहरीरो में तेरा जिक्र दिखता हैं!
फ़क़त इश्क़ - ए- हकी़की़ में तेरा शुमार मिलता हैं!!
कैसे भुला दूं?
तू खफा हैं मुझसे यह मुझे मालूम हैं!
कैसे मनाऊं तुझे हर पल दिल सोचता हैं!!
कैसे भुला दूं?
तेरी सोहबत का कुम्हार मुझमें रमा हैं!
तेरी बेरूखी के चलते अधूरा पन बचता हैं!!
कैसे भुला दूं?
तेरा वो अस्ले - ए - इश्क़ आफताब सा हैं!
तेज धूप में भी आब - ए - हयात लगता हैं!!
कैसे भुला दूं?
बिसरा भी दे माना ज्योति तेरी मुहब्बत को!
पर रफा़क़त को झूठला नहीं सकता हैं!!
तहरीर :- लिखावट
फ़क़त :- सिर्फ
इश्क़ - ए- हकी़की़ :- दिव्य प्रेम (divine love)
सोहबत :- साथ
कुम्हार:- नशा
अस्ले - ए - इश्क़ :- प्यार करने का तरीका
आफताब :- सूर्य
आब - ए - हयात :- अमृत
बिसरा :- भुला
रफा़क़त :- दोस्ती
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