बिन मानसून बारिश

Yeh jo barish ho rahi hai mansoon me aane se phle vo bhi kitni rahat bhari hoti hai na

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Jyoti agrawal
Jyoti agrawal 30 May, 2020 | 1 min read

नीले आसमान में घटा छाई है,

पतझड़ में बारिश की फुआर लाई है,


पंछी चह चाह रहे है खुल के बागों में,

सावन अब बसन्त बन अाई है,


गिलहरियां घूम रही है गली गली अब 

बेफिक्र सी पर आज बेखौफ होकर,


संभल रही है नदियां थोड़ा

 ठहराव तो थोड़ा बहाब लेकर,


हवाएं अब फूलो कि खुशबू से महक रही है,

जो कभी घुटती थी सिर्फ धुएं में ,


अब क़यामत पलट कर सा गई उनके हिस्से,

जिनसे सदियों से रूठी है।


ज्योति अग्रवाल


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Jyoti agrawal

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