बेजान पड़ा हैं यह माना ,
लेकिन जान अभी भी बाकी हैं।
सुख चूका हैं कटकर माना,
पर काम आना अभी बाकी हैं।।
जब तक खड़ा था कदमों पर,
देता था छांव और फल फूल भी।
अब जब पड़ा हैं जमीन पर,
सुख जाने पर जलकर देता आंच भी।।
देखा नज़ारा एक बहुत खूबसूरत,
उगे हैं कटी जड़ों पर कई फूल।
देख कर उस बेजान की सूरत,
मालूम चला वो बनने का रहा था धूल।।
यह पेड़ हैं जो दिल से जी गए,
मरकर भी जिंदगी तो से ही गए।
ज्योति अग्रवाल
Insta id :- Jyotiagrawal_m
Comments
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Sundar
Well penned
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