बड़े दिनों बाद मिली हो

Ek dost jo kai sal bad mujhe phir se mili

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Dr Jyoti agrawal
Dr Jyoti agrawal 30 May, 2020 | 1 min read

तुमने कहा कि कुछ शब्द लिखूं मैं तुम पर

तुम्हे भी आज मैं शब्दों के जाल में बांध लू


कुछ नगमे चुराकर इश्क़ से तो कुछ चुरा कर अक्श से,

मैं आज तुम्हे जमीन से कागज पर उतार लू


वो शैतानियां तेरी तब भी और है आज भी बरकरार,

खुशियां मिली है तुझे और मिले और भी आ पास मैं तेरी नज़र उतार लू


तेरा मेरा साथ जुड़ा था सालो पहले यूहीं बेवजह उस वक़्त,

बिछड़ गए फिर यूहीं वक्त बेबक्त आ जा उस वक़्त को फिर से सवार लू 


तू दे थोड़ा वक्त मुझे भी तो मैं भी थोड़ा वक्त निकल लू  


फिर दिन एक अचानक तुम मुझे फिर मिली ,

हा तरीका था अलग जगह भी अलग थी ,

खुशियों का माहौल था पता चला शायरी दोनों की जिंदगी थी ।


ज्योति अग्रवाल

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