Najro ka jaadu

यह मेरी पहली ग़ज़ल है , जिसमे मैंने आंखो के बारे में लिखनी की कोशिश की है कि किस तरह से आंखो ही आंखो ने इश्क़ हो जाता है और कैसे वो तबाही करा सकती है।

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Jyoti agrawal
Jyoti agrawal 21 Apr, 2020 | 0 mins read

उसकी उल्फत का मुझमें यूं असर आने लगा है,

उसकी आंखो का नूर मुझमें नजर आने लगा है।

देखती रहीं उनकी निगाहों को मैं इस कदर,

अब ख्वाबों में ही खुशियों का सारा शहर आने लगा है।

बेफिजूल सी लगने लगी है हुस्न की तारीफे,

उनकी नजरों का नशीला जाम इधर आने लगा है।

बदनाम होने लगे है अब हम इन नजरों के वार से,

हमारी ही गलियों में उनका साया मगर आने लगा है।

वो कहते है कि उनके आंखो कि ज्योति हूं मैं,

पर इस मोहब्बत मे भी कयामत का कहर आने लगा ।

ज्योति अग्रवाल

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Jyoti agrawal

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