जान पाओगे।

यह कविता कुमार विश्वास जी कि एक कविता की धुन के मद्दे नजर लिखी गई है , जिसमे अधूरे इश्क़ की झलक है

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Jyoti agrawal
Jyoti agrawal 03 May, 2020 | 1 min read

मुझे  ना जान पाओगे,  नहीं पहचान पाओगे!
कहा जाती निगाहें है, हमें ना खोज पाओगे!!

यहां मैं हूं अकेला तो वहां पर तू अकेली है!
बिचारा हूं बिना तेरे, तबाही तुम न पाओगे!!

तिरी ही याद में अक्सर , बहारे झिल मिलाती हैं!
कहां से ला रहा हूं चैन तुम ना जान पाओगे!!

भिखारी सा दिखावा है, फकीरा सी रवानी हैं!
सिरा तुम इस कहानी का, कभी ना छान पाओगे!!

मिला है ख्वाब  मुझको जो, बड़ा ही ख़ूबसूरत है!
इशारों की जमीं महफ़िल दिवानी मौज पाओगे!!

ज्योति अग्रवाल






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Jyoti agrawal

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