दिनचर्या के साथ साथ हमारे जीने का तरीका भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है हमारे जीवन में ।
आप अपनी दिनचर्या का निर्वाह किस तरीके से करते है वो आपके जीने के तरीके आपके स्वभाव के अनुसार बदलता है।
अगर आप किसी भी कार्य के स्वभाव उसकी आवृति के विपरित कार्य करेंगे तो उसका परिणाम आपको भुगतना पड़ेगा ही।
आज कल की पीढ़ी में कहीं आलस्य स्वास्थ्य बिगड़ने कि वजह बन जाता है तो कहीं बहुत अधिक कार्य इसका जिम्मेदार होता है।
हर कार्य को उसके निश्चित वक़्त पर किया जाए तो वह बड़ा ही लाभकारी सिद्ध होता है पर भी अगर गलत वक़्त पर किया जाए तो सही काम भी गलत प्रभाव दिखाने लगता है।
जैसे :- नहाने का ही ले लीजिए स्नान का सही वक़्त सुबह का होता है पर आजकल के लोग धूप निकलने के बाद नहाना पसंद करते है कई तो नहाना ही पसंद नहीं करते है पर इसका इनके शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है जो हमें उस वक़्त तो नहीं दिखाई देता पर बाद में वो एक बड़ी समस्या का कारण बनता है।
सुबह टहलना अच्छा बताया जाता है जिसका कारण है कि सुबह सबसे ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और साथ में शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
सुबह योगा और ध्यान करने से मस्तिष्क भी शांत हो जाता है और स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है।
इसी तरीके से सभी कार्यों को उनके सही वक्त करने पर बहुत लाभ मिलता है।
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