वह बयार

The wind of truth blows away all lies & reveals the truth

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 30 Jan, 2021 | 1 min read

बोये थे कांटे उसने छुप छुप कर,

अपने झूठे बोलों की मखमली चादर से ढँक कर


आई एक दिन सच की शीतल बयार,

उड़ाकर ले गयी उसकी वह झूठ की चादर


पर्दाफाश हो गए खोटे मंसूबे उसके,

आगाह हो गए सभी उससे 


ऐ शीतल बयार !

तुम से है मेरी यही गुहार


इसी तरह समय समय पर तुम बहतीं चलना

झूठ के चेहरे पर से चादर हटाती रहना


ताकि दुनिया में सचौटी की ही हो विजय हमेशा

ज़माने को रहे हमेशा यह भरोसा

- जूही प्रकाश सिंह 

#1000 poems

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Juhi Prakash Singh

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