ज़िन्दगी तुम्हें समझ ना पाए हम
क्यों ढ़ाये तुमने इतने सितम
खुशियां तो हो जाती हैं जल्द से ख़त्म
लेकिन ठहर जाते हैं ग़म
साथ छोड़ जाते हैं वो जिन्हें चाहते हैं हम
उनकी यादें करती हैं आँखों को नम
काश! भुला पाते यह दुखद यादें
चुनकर रख पाते सिर्फ खुशियों के धागे
पिरो लेते इन धागों से एक ऎसा दुशाला हम
जिसे ओढ़ दूर हो जाते मन से सारे ग़म
सी लेते इन धागों से फिर एक नया कल
और जी लेते हंसकर जीवन के शेष पल
- जूही प्रकाश सिंह
#1000poems
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