ज़िन्दगी का सितम

Life tests us, can't we just remain happy

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 21 Feb, 2021 | 1 min read

ज़िन्दगी तुम्हें समझ ना पाए हम

क्यों ढ़ाये तुमने इतने सितम 

खुशियां तो हो जाती हैं जल्द से ख़त्म 

लेकिन ठहर जाते हैं ग़म 

साथ छोड़ जाते हैं वो जिन्हें चाहते हैं हम

उनकी यादें करती हैं आँखों को नम 

काश! भुला पाते यह दुखद यादें 

चुनकर रख पाते सिर्फ खुशियों के धागे  

पिरो लेते इन धागों से एक ऎसा दुशाला हम 

जिसे ओढ़ दूर हो जाते मन से सारे ग़म 

सी लेते इन धागों से फिर एक नया कल

और जी लेते हंसकर जीवन के शेष पल 

- जूही प्रकाश सिंह 

#1000poems


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