बारिश इक नयी उम्मीद

Untimely showers give rise to a new hope

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 20 May, 2021 | 1 min read

यादें बनकर आंसू आँखों से बारिश बरसाती हैं

और अब तो बादल भी देखो इस बेमौसम बारिश में अपने अश्रु बरसाते हैं

मई के तपते महीने में ये बेमौसम बादल उमड़ घुमड़कर गरज रहे हैं

मानो तपते हृदयों की तपन मिटने की उम्मीद रख रहे हैं

ईश्वर का दिल भी शायद चारों ओर त्राहि त्राहि देख अब भर आया है

इसीलिए उसने इस बेमौसम वर्षा से अपना भी ग़म जताया है

इस बेमौसम बारिश ने सावन की उम्मीद अब जगा दी है

त्रस्त दिलों में सुकून मिलने की चाहत ला दी है

हे ईश्वर अब इन उम्मीदों को ज़रूर तू पूरा कर देना

सबके दिलों की इस प्रार्थना को मंज़ूर तू अवश्य कर लेना

इस महामारी से परेशान पीड़ित संसार को

मुक्ति अब तुम दे देना

लेकर वापिस इस श्राप को, हमारी सब गलतियां  माफ़ कर देना 

इस श्राप से देकर मुक्ति संसार को

बख्श देना फिर से नई खुशियों की सौगात समस्त मानव जन को

- जूही प्रकाश सिंह 




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