पिता जी को समर्पित मेरे कुछ ह्रदय-भाव
मुझमे पूर्ण आत्मविश्वास उन्होंने जगाया है
मुझे अपना स्वयं का अस्तित्व बनाना मुझे उन्होंने सिखाया है
भाइयों से कम नहीं हूँ मैं अपने व्यवहार से उन्होंने हमेशा जताया है
जितना मैंने पढ़ना चाहा उससे ज़्यादा ही उन्होंने मुझे पढ़ाया है
भले ही उनका नाम मैं अपनी अगली पीढ़ी को नहीं दे पाऊंगी
लेकिन उन्होंने जो शिक्षा दी है उसके बल पर अपनी अगली पीढ़ी में ये बदलाव ज़रूर ले आऊंगी
सीखा उनसे कि डरना- घबराना कभी नहीं चाहे जितनी बड़ी हो परेशानी,
स्वयं की सूझ- बूझ औऱ हिम्मत का हर परेशानी का हल निकल पाने में नहीं होता कोई औऱ सानी
सीखा उनसे कि स्वतंत्र हूँ मैं अपने जीवन के हर एक पहलू का निर्णय लेने को,
और ऎसा कर पाने के काबिल उन्होंने बना दिया है मुझको
अपना औऱ अपनों की देख- रेख मैं स्वयं कर लेती हूँ,
नहीं किसी का मुँह देखना औऱ न किसी पर अपने को निर्भर पाती हूँ
सीखा उनसे कि नारी का व्यक्तित्व एक माँ, पत्नी, बहन औऱ बेटी के दायरे में ही नहीं सीमित हो जाता है,
उसका व्यक्तित्व हर व्यापार व पेशे में भी चार चाँद लगा सकता है
सीखा उनसे कि जीवन की हर राह पर अपना सर ऊंचा रखकर चलना है,
इसलिए जीवन के हर पहलू में अपनी मेहनत व जज़्बे से सफलता का झंडा मुझे लहराता रखना है
जीवन के यह अमूल्य पाठ मैंने उन्हीं से सीखे हैं,
वे जिन्हें मैं प्यार से डैडी बुलाती हूँ उन्हीं से यह हुनर सब मैंने सीखे हैं
पिता की स्नेहिल छाया में मैंने अपना जीवन हमेशा सुखमय पाया है,
उनके क़दमों में चलकर ही अपने सपनों को सच कर दिखाया है
ईश्वर से हमेशा मेरी सविनय प्रार्थना ह्रदय से है यह सदा,
कि मेरे जीवन में पिताजी का स्नेह-आशीर्वाद सदा रहे मुझपर बना...
-©️जूही प्रकाश सिंह
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