मुखौटा

A short hundred word story on lying faces

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 02 Mar, 2021 | 1 min read

रूपा जब भी परेशान होती तो उसे सिर्फ उमा की याद आती | बचपन से अब तक उसने अपने दिल के बहुत से दुःख दर्द उमा को बताकर हमेशा अपना दिल हल्का किया था | आज उमा उसकी देवरानी बनकर घर आ रही थी तो रूपा ने उसे घरवालों की पसंद नापसंद बताना ठीक समझा | लेकिन उसकी बताई बातें उमा ने नमक मिर्च लगाकर सास- ससुर को बताकर रूपा के प्रति भड़का दिया और ससुराल में उसके मुँह पर कालिख लगवा दी | आज उमा का असली विकृत चेहरा रूपा ने देखा, वर्षो का झूठा दोस्ताने का मुखौटा उतर चुका था हमेशा के लिए |

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Juhi Prakash Singh

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