प्रेम और पसंद में अंतर

जब गौतम बुद्ध ने प्रेम और पसंद में अंतर समझाया ,बहुत ही सुंदर उदाहरण के माध्यम से...

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JP Mishra
JP Mishra 03 Jul, 2019 | 1 min read

प्रेम और पसंद : अंतर

गौतम बुद्ध से एक व्यक्ति ने प्यार और पसंद में अंतर जानना चाहा। बुद्ध बहुत ही सरल उदाहरण से उसकी जिज्ञासा शान्त की। वह उसे फूलों के एक सुंदर बाग़ में ले गए, उसे एक सुंदर सा फूल दिखाया और एक प्रश्न पूंछा-" अगर तुम्हे ये फूल पसंद आ जाये तो तुम क्या करोगे ?"

उस व्यक्ति ने जवाब दिया-"उस फूल को तोड़ के अपने पास रख लूँगा।"

बुद्ध ने एक और प्रश्न पूंछा- "यदि तुम्हे उस फूल से प्रेम हो जाये, तो तुम क्या करोगे?"

उस व्यक्ति ने जवाब दिया-"चूंकि मैं उस फूल से प्यार करता हूं अतः मैं उसकी देखभाल करूँगा,मैं उस पेड़ को खाद-पानी दूंगा,जिसका ये फूल है,ताकि ये सदा खिला रहे और अपनी ख़ुश्बू बिखेरता रहे।"

बुद्ध ने कहा तुमने तो स्वयं अपने प्रश्न का उत्तर दे दिया। जब तुम किसी चीज को पसंद करते हो तो तुम्हे सिर्फ अपनी खुशी की फ़िक्र होती है और तुम उस चीज का अपनी खुशी के लिए उपयोग करते हो।परन्तु जब तुम्हे किसी से प्यार हो जाये तो तुम उसके भले के बारे में भी सोचने लगते हो न कि सिर्फ अपने स्वार्थ की चिंता।

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