शुरुआती फ़रवरी ने हमें थका दिया ,
रोज़गार के वास्ते ,
दूसरे राज्य भगा दिया ...
वहाँ भी क़िस्मत का रूखापन दिखा,
काम के प्रकृति से दिल बहुत दुःखा !
उस दौरान कला और कविताओं के लिए भी
समय को मैं निकाला करता था ,
हाँ ,
अब मैं अच्छा लिखने लगा हूँ ,
हर कविता पर ये वहम पाला करता था !
मोहब्बत की फ़रवरी आगाज़ हुआ ,
किसी के जहन में थी कभी जो मोहब्बत ,
वो इस दौरान याद हुआ ,
जो थे पास उनसे सभी ने मुलाक़ात की ,
कुछ ने उठाया कोरा कागज़ और शब्दों से बात की !
हर एक दिन को यादों से बस निकालना चाहा ,
कागज़ों पर ही सही ,है वो अभी ,
ये वहम हमनें भी पालना चाहा !
मोहब्बत के विशेष दिन का अंत मेरे अश्रु के साथ हुआ ,
उस दिन के बाद फिर से पुराने दिन ही कि तरह आगाज़ हुआ !
कुछ सहभागिता हुई ,
किसी का जन्मदिवस खास रहा ,
पेपरविफ़ टीवी का एक अलग ही एहसास रहा !
हमनें एक अलग ही ऊर्जा और ख़ुशी देखी ,
फिर क्या , अगली बार सहभागिता के लिए हिम्मत समेटी !
और ज़्यादा खास नहीं रहा ये महीना ,
चुभता भी है हर रोज़ ये कहीं न कहीं न !
~गौरव शुक्ला'अतुल'
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