साल 2015 था जब मैं लिखने को लेकर सबके सामने आया,बहुत गलतियाँ हुई और बहुत कुछ सीखा और धीरे धीरे न जाने कितने दोस्त जुड़ते गए....हर दोस्त से कुछ न कुछ सीखने को मिला .....वहीं मित्र की सूची में साल 2020 के आख़िरी दौर में एक नाम और जुड़ गया paperwiff का ...जी हाँ....पहले तो मुझे लगा कि जैसे paperwiff से मेरी दोस्ती शायद ही चल पाए लेकिन मैं ग़लत था ....आधुनिकता भरी दुनियाँ में paperwiff मुझे आधुनिक बना रहा था और मैं.....मैं तो paperwiff को ख़ुद से अलग मानता था।
ये किस्सा तक़रीबन 2 महीने पहले का है जब मैं मुश्किल दौर से गुज़र रहा था या यूं कहूँ कि दोस्त की खास जरूरत थी लेकिन सब अपने काम मे इतने व्यस्त थे कि बात भी नहीं करना चाह रहे थे।
और फिर मुझे याद आयी अपने दोस्त paperwiff कि मोबाइल निकाला और लिखना शुरू किया ।
सारी बातें मैंने paperwiff को एक एक करके बता डाली एक ही सांस में और यहीं से शुरू हुई हमारी खास दोस्ती।
Love you Paperwiff
गौरव शुक्ला'अतुल'
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