घर के सामनें ही एक बड़ा सा कुआँ हुआ करता था जिससे मोहल्ले के सभी लोग पानी भरा करते थे उन दिनों नल नहीं होता था कूप से ही पीने योग्य पानी मिल पाता था ।
सौरभ , रजनी और गोलू तीनों उस कूप के पास के तीनों ओर बसे घर के बच्चे थे । तीनों बच्चों की शाम अक़्सर उस कुएँ के नजदीक खेलते हुए बीत जाती ।
शाम 6 बजे तक काफी अंधेरा हो जाता था और मदनपुर गाँव की बिजली तक़रीबन 7बजे तक दस्तक देती थी !
इस एक घण्टे के दौरान न तो बच्चे कहीं जा पाते थे न ही कहीं खेल पाते थे फिर क्या ! दादी के पास बैठ कर किस्से कहानी का रेडियो शुरू हो जाता !
दादी की कहानियों में अक्सर परी ,राजा ,राजकुमारी,जादूगर और भूत प्रेत का ही ज़िक्र रहता । सौरभ और रजनी कहानी को कहानी की तरह सुनते और भूल जाते लेकिन गोलू !
उन कहानियों को काफी हद तक सच मानने लगा और उन पर विश्वास भी करने लगा ।
एक दिन दादी ने एक जादूगर की कहानी सुनाई कि किस तरह एक जादूगर अपने घर के हर एक समान को जादूगरी से उसी तरह का एक और समान बना लेता इस प्रकार वह बहुत पैसे वाला हो गया फिर क्या ! गोलू के दिमाग़ में भी यह घूमने लगा उसनें भी कई चीजों को उसी तरह एक और बनाने चीज बनाने की सोच ली । उसने कहानी के मुताबिक रात को जब सब सो गए तभी घर से उस कुएँ की ओर बढ़ा और हाँथ में उसके भारी सा एक बैग था जिसमें उसके सारे खिलौने थे उसनें कुएँ में बिना सोचे समझे डाल दिये और कुएँ की ओर झुककर देखने लगा ।
पानी मे गिरने की आवाज सुनकर गोलू के घरवालों ने गोलू को बिस्तर में न पाकर घबरा गए और कुएँ के पास पहुँचे और जब देखा कि गोलू कुएं में झांक रहा है तो उसे बड़े आराम से पकड़कर घर लाया गया और उसको समझाया गया कि जादू वादु कुछ नहीं होता और गोलू जब कुएँ से कोई खिलौना नहीं आया तो उसे भी यक़ीन हो गया कि कोई जादू नहीं होता।
एक बच्चे का दिल जरूर टूट गया लेकिन उसने सच का सामना किया और सौरभ और रजनी की तरह अब वह भी कहानियों को कहानियाँ ही मानता है ।
-गौरव शुक्ला'अतुल'
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