दस बाई आठ के कमरे में ,सपनें की दुनिया को बसाना,कल्पनाओं के ईंटों को जोड़ जोड़कर एक मकान तैयार करता है UPSC Aspirants, और वही मकान जिसके किराएदार ख़ुद हम ही होतें हैं,
दीवारों पर सपनों को पाने के नक्शे,ब्लैक एंड व्हाइट ज़िन्दगी में रंग भरते राजनीतिक मुद्दे,
स्वादहीन सी ज़िन्दगी में चटकारे लेती करंट अफेयर्स,
और बात जब हो इस बात को लिखने की तो इस विषय में तो निबंध का एक पेपर मानों तैयार ही हो गया...
इस मकान को घर बनाने का काम वह प्रशासनिक अधिकारी करता है जो हर शाम बहस के गुत्थी को चौक के 'The Tea point' में बैठकर चाय के सहारे एक दूसरे को सुनने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ बनाता है रिश्ते,
यहाँ रिश्ते विश्वास या फिर खून से नहीं, बनतें हैं यहां रिश्ते ऑप्शनल के सब्जेक्ट से ....जी हाँ... सुबह सुबह 'The Hindu' अख़बार किसी बीवी की तरह चाय के साथ हाँथ थामती है लगता है बस ज़िन्दगी के पल ठहर जाएं और एक एक करके सारी दुनियाँ को एक पन्नें में समेंट लें, 7 बजे जब आकाशवाणी में न्यूज़ बुलेटिन शुरू होता है तो लगता है जैसे किसी पड़ोसी से गपशप चल रही है और देश की तमाम बातों की चुगली हो रही है....और जब यही कमरा, यही मकान बन जाता है एक एस्पिरेन्ट का घर तब हो जाता है उस दस बाई आठ के घर से लगाव और होती है अत्यंत पीड़ा,और होती है तकलीफ़ उस घर को ख़ुद से अलग करने की सोचने मात्र से,जिस घर के हर एक हिस्से में उसकी कल्पना की ईंट उसके जिज्ञासा और ज़िद के सीमेंट बालू से बना था,जहां हाइलाइटर से रंगे दीवार उसके जाने मात्र से फीके दिखाई पड़ रहे थे।
ख़ैर इतना आसान नहीं होता एक मकान को घर बनाना....नहीं आसान होता UPSC Aspirant का सफल हो जाना...
गौरव शुक्ला'अतुल'
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