रश्मिरथी : समीक्षा

दो न्याय अगर तो आधा दो , पर इसमें भी यदि बाधा हो तो , दे दो केवल पाँच ग्राम , रख्यो अपनी धरती तमाम ( तृतीय सर्ग - भाग -२ रश्मिरथी - कृष्ण चेतावनी ) हर सर्ग आपको आपके असल जीवन के मूल्य को समझाने का अचूक प्रयास करेगा और शायद सफ़ल भी हो जाये । और यक़ीन मानिए अगर आपने अभी तक यह महाकाव्य नहीं पढा तो आप हिंदी साहित्य के काव्य रस का अमृत नहीं चखा। ~ जहाज़ी संदेश 🌺

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Jahaji sandesh
Jahaji sandesh 04 Jan, 2022 | 1 min read

रामधारी सिंह दिनकर जी की रचना में सर्वश्रेष्ठ रचना कोई है तो वह है #रश्मिरथी, दरअसल यह काव्य नहीं महाकाव्य है।

रश्मिरथी में आपको कुल 7 सर्ग मिलेंगे जिसमें प्रथम से लेकर सप्तम तक का समय आपको कहीं और नहीं भटकने देगा ।

महाभारत के ऊपर आधारित यह महाकाव्य ,महान कर्ण के व्यक्तित्व की।व्याख्या करता है ! महान कर्ण इसलिए नहीं कहा कि कर्ण महादानी था ! या इसलिए कि कर्ण कुंती पुत्र होते हुए भी और जानते हुये भी दुर्योधन के पक्ष से युद्ध को स्वीकारा वरन इसलिए कि दिनकर साहब की कलम ने महान कर्ण के पग पग-पर त्याग और बहादुरी को बख़ूबी अपनी रचना में ढाला और सवांरा है । 


हर एक सर्ग का एक महत्व है जैसे कि तृतीय सर्ग के भाग द्वितीय में भगवान श्री कृष्ण की चेतावनी को अपने काव्य रचना के माध्यम से और ऊर्जावान कर दिया है दिनकर साहब नें !


दो न्याय अगर तो आधा दो ,

पर इसमें भी यदि बाधा हो तो ,

दे दो केवल पाँच ग्राम ,

रख्यो अपनी धरती तमाम


( तृतीय सर्ग - भाग -२ रश्मिरथी - कृष्ण चेतावनी )


हर सर्ग आपको आपके असल जीवन के मूल्य को समझाने का अचूक प्रयास करेगा और शायद सफ़ल भी हो जाये ।


और यक़ीन मानिए अगर आपने अभी तक यह महाकाव्य नहीं पढा तो आप हिंदी साहित्य के काव्य रस का अमृत नहीं चखा।


~ जहाज़ी संदेश 🌺 


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